
सुप्रीम कोर्ट
दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. यह याचिका रूपसी सिंह ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि मौजूदा प्रावधान पुरुषों को लेकर भेदभावपूर्ण है. इनकी आड़ लेकर पुरुषों के खिलाफ झूठी शिकायतें दर्ज हो रही है. याचिका में 1961 के दहेज निषेद कानून और 2005 के घरेलू हिंसा विरोधी कानूनों को महिला केंद्रित बताया गया था.
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. वी चंद्रन की पीठ ने कहा कि यह नीतिगत मामला है, आप इसे संसद के पास ले जाए. कोई भी कानून बनाना और उसे खत्म करना संसद का काम है. याचिकाकर्ता ने कहा कि कानून के भाग 2,3 और 4 को खत्म करना चाहिए. भाग 2 दहेज की परिभाषा देता है, भाग 3 दहेज लेने और देने के मामलों में क्या हो सकता है और भाग 4 दहेज की मांग पर सजा देता है.
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि इस कानून के कुछ प्रावधान अवैध है और उन्हें खत्म किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह जनता की भावना है, जिसे उठाते हुए मैंने अर्जी दाखिल की है.
-भारत एक्सप्रेस
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