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जल्लीकट्टू, कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार

गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ताओं और इस खेल के समर्थकों के बीच तनातनी का लंबा सिलसिला चल और इसकी परिणति 2014 में कोर्ट द्वारा प्रतिबंध के रूप में सामने आया था.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikipedia)

तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में सांड-बैलों की दौड़ यानी जल्लीकट्टू, कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ को लेकर संविधान पीठ के फैसले के बाद दायर पुनर्विचार याचिका पर जल्द सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने सीजेआई के समक्ष मेंशन कर जल्द सुनवाई की मांग की, जिस पर सीजेआई ने कहा कि आप मेल भेजिये देखेंगे कि कब सुनवाई की जाए.

खेल के तौर पर मान्यता

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने तमिलनाडु सरकार के उस कानून को वैध करार दिया था, जिसमें जलीकट्टू को एक खेल के तौर पर मान्यता दी गई है. कोर्ट ने कहा था कि तमिलनाडु का जानवरों के साथ क्रूरता कानून 2017 जानवरों को होने वाले दर्द और पीड़ा को काफी हद तक कम कर देता है.

फसलों की कटाई के दौरान होता है ये खेल

बता दें कि जल्लीकट्टू, जिसे इरुथाझुवुथल भी कहा जाता है, सांडों के साथ खेला जाने वाला खेल है, जिसका आयोजन पोंगल में फसलों की कटाई के दौरान किया जाता है. गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ताओं और इस खेल के समर्थकों के बीच तनातनी का लंबा सिलसिला चल और इसकी परिणति 2014 में कोर्ट द्वारा प्रतिबंध के रूप में सामने आया था.

राज्य की परंपरा और संस्कृति का हिस्सा

कार्यकर्ताओं का तर्क था कि आदमी और सांडों के बीच शारीरिक प्रतियोगिता की वजह से यह खेल पशु अधिकारों का उल्लंघन करता है. वही, दूसरे खेमे के तर्क था कि किसी को भी इस खेल पर प्रतिबंध लगाने का हक नहीं है, क्योंकि यह राज्य की परंपरा और संस्कृति का हिस्सा है.

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-भारत एक्सप्रेस



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