
मणिपुर हिंसा को लेकर कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट की ओर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जातीय हिंसा को बढ़ावा देने में मणिपुर के सीएम बीरेंद्र सिंह की भूमिका को लेकर लीक ऑडियो टेप पर फोरेंसिक रिपोर्ट देने को कहा है. टूथ लैब्स की स्थापना साल 2007 में हुई थी. ये भारत की पहली नॉन गवर्मेन्ट फूल फ्लेज्ड फोरेंसिक लैब है, जिसने पुष्टि की है कि 93 % ऑडियो टेप मुख्यमंत्री के आवाज से मेल खाते है. सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह रिपोर्ट मांगी है.
कोर्ट मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर कुकी जनजाति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. याचिका में सीएम पर मणिपुर में हिंसा भड़काने का आरोप है. कथित तौर पर ऑडियो में मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के बयानों को रिकॉर्ड किया गया था, जिसमें राज्य की जातीय हिंसा में उनकी संलिप्तता का संकेत दिया गया था.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि जो टेप सामने आए है, वे बहुत गंभीर है. इस पर सीजेआई ने कहा कि सुनिश्चित कीजिए कि ये एक और मुद्दा न बने. 24 मार्च से शुरू होने वाले हफ्ते में कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मणिपुर के मुख्यमंत्री का एक ऑडियो टेप सामने आया है, जिसमें उन्हों दावा करते हुए सुना जा सकता है कि उन्होंने ही राज्य में हिंसा भड़काई, हथियारों को लूटने दी और हिंसा में शामिल लोगों को संरक्षण दिया.
सुप्रीम कोर्ट इस टेप की प्रामाणिकता की जांच करने के लिए सहमत हो गया था. वही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रशांत भूषण के इस दावों पर आपत्ति जताते हुए कहा था “न्यायाधीश हाथी दांत के महलों में रह रहे हैं”. जिसपर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल से कहा था “बिल्कुल नहीं, हम चीजों को दबाने के किसी भी प्रयास की सराहना नहीं करते. हम मणिपुर की स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हैं”.
यह याचिका कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट की ओर से दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि सीएम का ऑडियो परेशान करने वाला है. प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया था कि सीएम का ऑडियो क्लिप जस्टिस लांबा आयोग को सौंपी गई थी, जो मणिपुर हिंसा की जांच कर रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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