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‘क्या गुंडों को रखने के लिए है सीएम आवास’, जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा- बिभव कुमार CM का PA नहीं था तो वह वहां क्या कर रहा था?

Vibhav kumar Swati maliwal case: मुख्यमंत्री केजरीवाल के पीए विभव कुमार के खिलाफ आरोप हैं कि उन्‍होंने 13 मई को केजरीवाल के सरकारी आवास पर मालीवाल पर हमला किया था. उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था.

vibhav Kumar

केजरीवाल के पूर्व पीए विभव कुमार.

Delhi News: आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद और दिल्ली के पूर्व महिला आयोग के अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद विभव कुमार की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब, मांगा है. वहीं, इस मामले में अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी.

आज मामले की सुनवाई के दौरान बिभव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ऐसे मामले में सेशंस कोर्ट को जमानत देनी चाहिए थी. सिंघवी ने कहा कि MLC रिपोर्ट में साधारण चोट को गैर-खतरनाक बताया गया है। आरोपों से बिल्कुल उलट रिपोर्ट है.

जज ने पूछा- मुख्यमंत्री का कार्यालय निजी आवास है?

जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने मामले पर हैरानी जताई कहा- यदि स्वाति मालीवाल घटना के तुरंत बाद 112 पर कॉल कर रही है, तो इससे क्या पता चलता है? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मुख्यमंत्री का कार्यालय निजी आवास है? हम स्तब्ध हैं, जिस तरीके से इस मामले से निपटा गया. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि 112 पर कॉल करने से यह बात झुठलाती है कि मामला मनगढ़ंत है। सिंघवी ने कहा कि आज सवाल यह है कि क्या बिभव जमानत के हकदार है. आक्षेपित आदेश के बाद आरोप पत्र दाखिल किया गया है.

हम जमानत के सवाल की जांच कर रहे: जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हां, हम जमानत के सवाल की जांच कर रहे हैं। सिंघवी ने कहा कि दो फैसलों में कहा गया है कि आरोपी छेड़छाड़ कर सकता है, लेकिन वह सबूतों से छेड़छाड़ कैसे कर सकता है? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम अदालत में पढ़ना नहीं चाहते, लेकिन आरोप देखना चाहते हैं। सिंघवी ने कहा कि दिल्ली पुलिस और एलजी ने मेरी एफआईआर उसी दिन दर्ज नहीं की. जिसपर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने पूछा कि 13 मई को क्या वह सीएम के सचिव थे? या पूर्व सचिव?सिंघवी ने कहा कि मेरे ऊपर कैट का मामला चल रहा है, मैं राजनीतिक सचिव था, मैंने नियुक्तियां संभालीं है.

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह संस्करण आपने घटना के बाद प्राप्त किया है। सिंघवी ने कहा कि यह घटना के बाद ही हो सकता है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे कोई गुंडा घर में घुस गया हो। उन्हें शर्म नहीं आई, यह एक महिला है। हम सुपारी लेकर हत्यारों को भी जमानत देते हैं, लेकिन इस मामले में, किस तरह की नैतिक प्रतिबद्धता है?

बिभव कब से हिरासत में है: जस्टिस उज्जल भुइयां

कोर्ट ने कहा कि वह उस समय एक विशेष स्थिति में थी। क्या आपको लगता है कि कोई उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत करेगा? जस्टिस उज्जल भुइयां ने कहा कि बिभव कब से हिरासत में है? सिंघवी ने कहा कि 75 दिन से सिंघवी ने कहा कि मित्रवत LG के तहत मित्रवत पुलिस के सहयोग से स्वाति मालीवाल ने 3 दिन बाद FIR कराई.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ये आपके आंतरिक राजनीतिक मामले हैं, हम चिंतित नहीं हैं।विभव कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा खारिज जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने विभव कुमार की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि वह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी रहे है। ऐसे में उनका काफी ज्यादा प्रभाव है, और उन्हें राहत देने का कोई आधार नजर नहीं आ रहा है.

‘जमानत पर रिहा करने का कोई आधार नहीं बनता’

जस्टिस ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि आरोपों की प्रकृति और गवाहों को प्रभावित किए जाने की आशंका को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का कोई आधार नहीं बनता है। मामले की सुनवाई के दौरान स्वाति मालीवाल की ओर से पेश वकील ने कहा था कि एफआईआर दर्ज होने के कुछ दिन बाद 2 क्लिप जारी की गई थी और कमरे में कोई और नही था. एक क्लिप में वह पुलिस अधिकारी से किसी तरह की बहस करती हुई दिखाई दे रही है. इस पर कोर्ट ने कहा था कि आप कैसे कह सकते है कि इसमें (क्लिप) छेड़छाड़ की गई? इसके जवाब में मालीवाल के वकील ने कहा था क्योंकि क्लिप में कुछ संकेत है, जो दिखाते हैं कि उन्हें बदल दिया गया है.

ये आरोप हैं विभव कुमार के खिलाफ

विभव कुमार के खिलाफ आरोप है कि उसने 13 मई को मुख्यमंत्री केजरीवाल के सरकारी आवास पर मालीवाल पर हमला किया था. उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले तीस हजारी कोर्ट ने कुमार को 7 जून को जमानत देने से इनकार कर दिया था। उसने कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं. ऐसी आशंका है कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. बिभव कुमार की पहली जमानत याचिका 27 मई को एक अन्य सत्र अदालत ने खारिज कर दी थी. उनके खिलाफ प्राथमिकी 16 मई को दर्ज की गई थी.

– भारत एक्‍सप्रेस

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