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NCP Politics Crises: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एनसीपी में चल रहे सियासी घमासान से भविष्य में किसे फायदा होगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा. ऐसे में एनसीपी पार्टी किसकी होगी ये बड़ा सवाल बना हुआ है. शरद पवार और अजित पवार दोनों ही अपना-अपना दावा ठोक रहे हैं. इसी को लेकर दोनों के बीच शक्ति प्रदर्शन भी हुआ था. बीजेपी में शामिल होने के बाद अजित पवार के गुट में करीब 31 विधायक शामिल हुए थे. वहीं शरद पवार द्वारा बुलाई गई बैठक में पार्टी के 16 विधायक शामिल हुए थे.
भलें ही अभी अजित गुट के पास ज्यादा विधायक हैं, लेकिन फिर भी उनका रास्ता अभी साफ नहीं हैं. क्योंकि अजित पवार के गुट पर दल-बदल कानून का खतरा मंडरा रहा है. अगर उन्हें इस कानून से बचना है तो पार्टी के करीब दो तिहाई विधायकों को अपने समर्थन में लाना ही होगा.
विधानसभा चुनाव में पार्टी के कुल 53 विधायकों ने जीत हासिल की थी, जिसके मुताबिक अजित गुट को करीब 37 विधायकों का समर्थन हासिल करने की जरुरत हैं. लेकिन उनके पास अभी कुल 31 विधायकों का समर्थन हासिल है. ऐसे में अभी 6 विधायक ऐसे हैं जो किसी गुट में शामिल नहीं हैं. इसलिए उनके पास इस पूरे सियासी क्रम को बदलने की ताकत है. गौरतलब है कि अजित पवार और शरद पवार गुट ने इन विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर शुरू कर दी है, ऐसे में जो इन विधायकों का समर्थन हासिल कर लेगा, उसका पार्टी पर दावा पक्का माना जाएगा. चलिए अब आपको उन विधायकों के बारे में बताते है जो अभी किसी गुट में शामिल नहीं हुए हैं.
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चंद्रकांत उर्फ राजू नवघरे ने वसमत विधानसभा से चुनाव जीता था और वह स्थानीय शुगर मिल चुनावों में व्यस्थ थे इसलिए विधायक दल की मीटिंग में शामिल नहीं हो पाए. खबरों के मुताबिक वह अब अपना फैसला 9 जुलाई को देंगे.
सरोज अहीर विधायकल दल की मीटिंग के दौरान अपने विधानसभा क्षेत्र में थीं इसी वजह से बैठक में शामिल नहीं हो पाईं. उन्होंने कहा कि वह शरद पवार और अजित पवार दोनों का सम्मान करती है. वह अपना निर्णय अपने विधानसभा के लोगों से बात करने के बाद लेंगी.
वहीं एक और विधायक दौलत दरोड़ा ने कहा कि वह शरद पवार द्वारा बुलाई गई मीटिंग में शामिल नहीं हो पाए लेकिन वो वरिष्ठ नेता का समर्थन करते है और वो किसी भी हालत में एकनाथ शिंदे की सरकार का समर्थन नहीं करेंगे.
नवाब मलिक मानहानि के मामले में काफी से समय से जेल में बंद हैं. इसलिए उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वो किस तरफ जाएंगे. उनसे अभी तक कोई संपर्क नहीं हो पाया है.
आशुतोष काले ने कोपरगांव से विधायक हैं. वह अभी विदेश में हैं इसलिए उनसे संपर्क नहीं पाया था.
अतुक बेनेके को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है कि वह किसकी तरफ जाएंगे. लेकिन 2019 में उन्होंने अजित पवार का समर्थन किया था. हालांकि बाद में वह वापस शरद पवार के गुट में आ गए थे. हाल की स्थिति को देखकर भी उन्होंने कहा कि वह भी अपने क्षेत्र के लोगों से बात करके फैसला लेंगे.
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