सुप्रीम कोर्ट
बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों में से तीन ने जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दोषियों के वकील द्वारा तत्काल सुनवाई के लिए उनकी याचिका का उल्लेख करने के बाद सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमत हुआ है क्योंकि आत्मसमर्पण करने का समय 21 जनवरी को समाप्त हो रहा है.
इन कामों के लिए मांगा समय
बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले के दोषियों में से एक गोविंदभाई नाई, रमेश रूपाभाई चंदना, मितेश चिमनलाल भट ने आत्मपसमर्पण की समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी. इसे लेकर इन तीनों ने समय देने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है. रमेश रूपाभाई चंदना ने अपने बेटे की शादी करनी और दूसरी जिम्मेदारियों को लेकर समय मांगा है तो मितेश चिमनलाल भट ने सर्दियों की उपज की कटाई की बात कही है.
बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और 14 लोगों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली थी जिसे अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने रद्द कर दिया था और इन्हें रिहा कर दिया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को समय से पहले रिहा करने के अगस्त 2022 में लिए गए गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था.
शीर्ष अदालत के समक्ष ग्यारह दोषियों (प्रतिवादियों) को 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था.
2002 में का है मामला
गुजरात में साल 2002 में गोधरा कांड के दंगों के दौरान बिसकिस बानो के सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उनके परिवार के 7 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई. इस मामले में कोर्ट ने 11 आरोपियों को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी, लेकिन गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को 15 साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया. गुजरात सरकार की माफी नीति के अनुसार सभी दोषियों को रिहा कर दिया गया, जिसके खिलाफ बिलकिस बानो ने समीक्षा याचिका दायर की थी. आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस याचिका को भी खारिज कर दिया गया.
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