आखिर क्यों सृष्टि के रचयिता ब्रह्मदेव की पूजा नहीं होती है? यहां जानिए इसकी वजह
– देवेश प्रताप सिंह राठौर
SDM Jyoti Maurya: सोशल मीडिया से लेकर हर जगह आजकल SDM ज्योति मौर्य की बेवफाई के चर्चे जोरों पर हो रहे हैं. कोई उनके मीम्स बना रहा है तो कोई उनकी जमकर आलोचना कर रहा है. होमगार्ड विभाग के महोबा जिला कमांडेंट मनीष दुबे के साथ उनके रिश्तों को जोड़कर जमकर जगहंसाई हो रही है. वहीं एक बैठक में सादी वर्दी में झांसी पहुंचे मनीष दुबे से जब मीडिया ने कुछ सवाल करने चाहे तो उन्होंने कन्नी काट ली और बोले जबरदस्ती नहीं. कुल मिलाकर एसडीएम ज्योति मौर्य से उनके क्या सम्बंध है, इसके बारे में वह कुछ नहीं बोले बल्कि मीडिया को ही खामोश कर दिया और इसी के साथ उठ रहे तमाम सवालों को पर अपनी चुप्पी साध ली.
वहीं उनका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें वह उल्टा ज्योति मौर्य के पति आलोक मौर्य पर आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि, “जो ज्योति मौर्य को पढ़ाने-लिखाने की बात कर रहा है वो ये तक नहीं बता सकता कि यूपीएससी में कितने पेपर होते हैं.” फिलहाल उनके इस नए वीडियो ने जमकर हंगामा मचा रखा है. सोशल मीडिया पर यह वीडियो लगातार रिट्विट किया जा रहा है. ज्योति मौर्य की शादी से लेकर बेवफाई तक पर लोग जमकर छींटाकशी कर रहे हैं.
बता दें कि शुक्रवार को झांसी में हुई विभागीय बैठक में मनीष दुबे हिस्सा लेने के लिए सादी वर्दी में पहुंचे थे, ताकि कोई उनको पहचान न ले, लेकिन झांसी की मीडिया ने उनको पहचान लिया और ज्योति से जुड़े सवाल भी दाग दिए. जैसे ही बैठक खत्म हुई और मनीष दुबे बाहर निकले, मीडिया ने इस प्रकरण और उनके खिलाफ चल रही जांच के बारे में सवाल पूछा तो वह कैमरों से बचते नजर आये. मनीष दुबे ने उनके खिलाफ चल रही जांच से जुड़े सवालों पर पत्रकारों से कहा कि उनके साथ कोई जबरदस्ती न करें. वहीं होमगार्ड के बुंदेलखंड परिक्षेत्र के डीआईजी ने इस पूरे मामले में मनीष के खिलाफ चल रही जांच के बारे में किसी तरह की जानकारी होने से इंकार करते हुए कहा कि मनीष अच्छे अधिकारी हैं.
बता दें कि झांसी के सर्किट हाउस में शुक्रवार को यह बैठक हुई थी. होमगार्ड विभाग के बुंदेलखंड परिक्षेत्र के डीआईजी रंजीत सिंह ने सम्बंधित जिलों के अफसरों की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में विवादों में चल रहे महोबा के जिला कमांडेंट मनीष दुबे सादी वर्दी में पहुंचे थे. अगर विभागीय नियमों को देखें तो विभागीय बैठक में वर्दी पहनकर जाना अनिवार्य होता है, लेकिन किसी विपरीत परिस्थिति में उच्चाधिकारियो से अनुमति के बाद अधिकारी सादी वर्दी में जा सकता है. कहा जा रहा है कि अभी उनका ट्रांसफर महोबा हुआ है तो हो सकता है कि वह अभी अपनी वर्दी आदि न ले जा पाए हों.
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