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कौन हैं Lex Fridman जिन्होंने PM Modi के साथ किया पॉडकास्ट? ट्रंप से लेकर मस्क तक कई दिग्गजों का कर चुके हैं इंटरव्यू

अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पॉडकास्ट रिलीज हुआ. जानिए कौन हैं लेक्स फ्रीडमैन, उनका करियर, शिक्षा, और उनकी अब तक की जर्नी.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन (Lex Fridman) के बीच विशेष बातचीत का पॉडकास्ट रविवार, 16 मार्च को शाम 5:30 बजे रिलीज हुआ. इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने अपने बचपन, हिमालय में बिताए गए समय और सार्वजनिक जीवन की यात्रा से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा की.

पीएम मोदी ने इस बातचीत की जानकारी खुद सोशल मीडिया पर शेयर की. पीएम मोदी ने कहा कि यह चर्चा उनके लिए बहुत खास रही. उन्होंने लिखा, “लेक्स फ्रीडमैन के साथ चर्चा शानदार रही. इसमें मेरे बचपन की यादें, सार्वजनिक जीवन और कई अन्य विषयों पर बातचीत हुई. आप भी इस चर्चा का हिस्सा बनें.”

कौन हैं लेक्स फ्रीडमैन?

लेक्स फ्रीडमैन अमेरिका के प्रसिद्ध पॉडकास्टर और रिसर्चर हैं. उनका जन्म ताजिक सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक, जिसे ताजिकिस्तान के नाम से भी जाना जाता है (जो पहले सोवियत संघ का हिस्सा था) में एक यहूदी परिवार में हुआ था. उनका असली नाम एलेक्सई एलेक्सान्ड्रोविच फ्रीडमैन है. उनका बचपन रूस की राजधानी मॉस्को में बीता.

जब लेक्स 11 साल के थे, तब सोवियत संघ का विघटन हुआ और उनका परिवार अमेरिका के शिकागो शहर में आकर बस गया. वहीं पर उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. इसके बाद ड्रेक्जेल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की. साल 2014 में उन्होंने इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में पीएचडी भी पूरी की.

उनके पिता एलेक्जेंडर फ्रीडमैन एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और प्रोफेसर थे, जिन्होंने प्लाज्मा फिजिक्स पर काम किया. उनके भाई ग्रेगरी फ्रीडमैन भी ड्रेक्जेल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. लेक्स ने एक बार बताया था कि उनके माता-पिता का जन्म यूक्रेन में हुआ था, जबकि उनका खुद का जन्म ताजिकिस्तान में हुआ.

टेक्नोलॉजी और रिसर्च से पॉडकास्टिंग तक का सफर

लेक्स फ्रीडमैन ने अपनी पीएचडी के दौरान 2014 में गूगल में काम करना शुरू किया. हालांकि, छह महीने बाद उन्होंने गूगल छोड़ दिया. 2015 में उन्होंने अमेरिका के मशहूर टेक्नोलॉजी संस्थान एमआईटी (मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) के एज लैब में काम करना शुरू किया. यहां उन्होंने साइकोलॉजी और बिग डेटा के क्षेत्र में रिसर्च की.

2019 में उन्होंने टेस्ला के ऑटो-पायलट सिस्टम पर एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया. यह रिसर्च इतनी प्रभावशाली थी कि टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क का ध्यान भी इस पर गया. एलन मस्क ने इस स्टडी की तारीफ की और फ्रीडमैन को अपने ऑफिस में इंटरव्यू के लिए बुलाया.

हालांकि, बाद में अन्य वैज्ञानिकों ने इस स्टडी की आलोचना की और एमआईटी ने इसे अपनी वेबसाइट से हटा दिया. इसके बाद फ्रीडमैन ने रिसर्च छोड़कर पूरी तरह से पॉडकास्टिंग की दुनिया में कदम रख दिया.

कैसे बने एक सफल पॉडकास्टर?

लेक्स फ्रीडमैन ने 2018 में अपने पॉडकास्ट की शुरुआत की. शुरुआत में उन्होंने इसे ‘द आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पॉडकास्ट’ नाम दिया. 2019 में जब उन्होंने एलन मस्क का इंटरव्यू लिया, तो यह पॉडकास्ट काफी लोकप्रिय हो गया. इसके बाद उन्होंने इसका नाम बदलकर ‘लेक्स फ्रीडमैन पॉडकास्ट’ कर दिया.

आज उनका पॉडकास्ट दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पॉडकास्ट्स में से एक माना जाता है. इसमें वे राजनीति, टेक्नोलॉजी, समाज और जीवन से जुड़े विषयों पर चर्चा करते हैं. डोनाल्ड ट्रंप, एलन मस्क, मार्क जुकरबर्ग, बेंजामिन नेतन्याहू और नोम चॉम्स्की जैसी कई मशहूर हस्तियां उनके पॉडकास्ट में आ चुकी हैं.

पीएम मोदी के साथ इंटरव्यू कैसे हुआ?

लेक्स फ्रीडमैन ने फरवरी में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लेने के लिए भारत आ रहे हैं. उन्होंने लिखा था कि यह उनकी भारत की पहली यात्रा होगी और वह भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को करीब से देखने के लिए उत्साहित हैं.


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इससे पहले जनवरी में पीएम मोदी जीरोधा के संस्थापक निखिल कामत के पॉडकास्ट में शामिल हुए थे. इसमें उन्होंने अपने निजी जीवन और भारत के भविष्य पर चर्चा की थी.

विवादों से भी जुड़ा है लेक्स फ्रीडमैन का नाम

हालांकि, लेक्स फ्रीडमैन के पॉडकास्ट को लेकर कुछ विवाद भी रहे हैं. उन पर आरोप लगता रहा है कि वह अपने मेहमानों से कठिन सवाल नहीं पूछते और कई बार झूठे दावों को चुनौती नहीं देते.

2024 में अमेरिकी पत्रकार हेलेन लुइस ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप को उनके पॉडकास्ट में झूठे दावे करने दिए और उन्हें चुनौती नहीं दी. इसी तरह, 2023 में इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का इंटरव्यू लेते समय भी वे उनके विवादित बयानों पर सवाल नहीं उठा पाए.

ब्लूमबर्ग ने भी 2024 में एक लेख में लिखा कि टेक्नोलॉजी के बड़े सीईओ अब कठिन सवालों वाले पत्रकारों के बजाय दोस्ताना इंटरव्यू की तलाश करने लगे हैं, और लेक्स फ्रीडमैन इसके उदाहरण हैं.

-भारत एक्सप्रेस



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