
दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर मिले कथित कैश की जांच को लेकर गठित कमेटी की रिपोर्ट के बाद सूत्रों के मुताबिक सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा से 2 दिन में जवाब देने को कहा है. सीजेआई ने जस्टिस वर्मा को जवाब देने के लिए 9 मई तक का समय दिया है. कमेटी द्वारा सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में कैश मिलने की पुष्टि हुई है.
समिति ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट
मामला सामने आने के बाद सीजेआई संजीव खन्ना ने पिछले महीने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था. इस समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट 4 मई को सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी हैं. सीजेआई 13 मई को रिटायर्ड हो रहे है ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि अगर जस्टिस वर्मा सीजेआई के सवालों का जवाब नहीं देते है तो, सीजेआई उन्हें इस्तीफा देने के लिए कह सकते हैं.
जांच समिति का गठन और रिपोर्ट
सीजेआई द्वारा गठित समिति में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी. एस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे. यह समिति 22 मार्च को तब गठित की गई थी, जब यह जानकारी सामने आई कि दिल्ली हाई कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास के बाहरी परिसर स्थित स्टोररूम से, आग बुझाने की कार्यवाही के दौरान, भारी मात्रा में कैश का पता चला था. उस समय जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे.
जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर
इस घटना के सामने आने के बाद उन्हें मूल हाई कोर्ट यानी इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था. बता दें कि जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने से पहले सीजेआई संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद समिति गठित करने का फैसला लिया था. दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता है.
सरकारी आवास के स्टाफ क्वाटर के पास लगी थी आग
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को दिए अपने विस्तृत जवाब में जस्टिस वर्मा ने कहा कि 14 मार्च की रात होली के दिन उनके सरकारी आवास के स्टाफ क्वाटर के पास स्थित स्टोररूम में आग लगी थी. उन्होंने कहा कि यह कमरा आम तौर पर उनके सभी कर्मचारी पुराने फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, इस्तेमाल किए हुए कालीन, पुराने स्पीकर, बागवानी के उपकरण और सीपीडब्ल्यूडी का सामान रखने के लिए इस्तेमाल करते थे. यह कमरा अनलॉक रहता था और इसके दोनों ओर प्रवेश किया जा सकता है था, एक आधिकारिक गेट से और दूसरा स्टॉफ क्वाटर के पिछले दरवाजे से.
पीएस ने पीसीआर को आग लगने की दी सूचना
14 मार्च की रात जज के पीएस ने पीसीआर को आग लगने की सूचना दी. फायर ब्रिगेड को अलग से कॉल नहीं किया गया. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने 15 मार्च की सुबह मामले की जानकारी दी. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तब लखनऊ में थे.
-भारत एक्सप्रेस
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