

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य नागरिकों की ट्रस्टी है.उसका दायित्व है कि वह नागरिकों की सुरक्षा ही नहीं अपितु किसी भी नुकसान से बचायें.यदि अनहोनी घटना पीड़ितों को मुआवजा देने की स्कीम बनाई है तो उसका लाभ सभी पीडितो को देकर मुआवजे का भुगतान करे. कोर्ट ने कुंभ मेला प्रयागराज में हुए हादसे में याची की पत्नी की मौत पर मुआवजे के भुगतान पर विचार करें.
कोर्ट ने याचिका में सी एम् ओ प्रयागराज, प्राचार्य मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज, स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल, प्रयागराज,टी बी सप्रू अस्पताल प्रयागराज, मोतीलाल नेहरू डिविजनल अस्पताल प्रयागराज व जिला महिला अस्पताल प्रयागराज व इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन व इलाहाबाद नर्सिंग होम एसोसिएशन को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी की है और कुंभ के दौरान मरीजों व मृत व्यक्तियों के तिथिवार विवरण के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.मृत घोषित या मृत प्राप्त समय तिथि पहचान सहित उसे देखने वाले डाक्टर का ब्योरा दिया जाय .
कोर्ट ने राज्य सरकार को सभी दावों की संख्या, भुगतान, कितने दावे तय कितने लंबित है का व्योरा देने का भी निर्देश दिया है.और याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 18 जुलाई नियत की है.
यह आदेश न्यायमूर्ति एस डी सिंह तथा न्यायमूर्ति संदीप जैन की खंडपीठ ने उदय प्रताप सिंह की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.
याचिका पर अधिवक्ता अनिरुद्ध उपाध्याय ने बहस की.
राज्य सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता प्रथम जे एन मौर्य ने अपर मेला अधिकारी प्रयागराज द्वारा दी गई जानकारी पेश की. दस्तावेज बिना तिथि के पेश किए गए. रिकार्ड पर रखा गया. जिसमें खुलासा किया गया है कि कुंभ मेला क्षेत्र में एक केंद्रीय अस्पताल व 10प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए थे.जो मेला अधिकारी के नियंत्रणाधीन थे. इसके अलावा 305बेड विभिन्न सरकारी जैसे एस आर एन अस्पताल,टी बी सप्रू अस्पताल मोतीलाल नेहरू डिविजनल अस्पताल,व जिला महिला अस्पताल तथा प्राइवेट अस्पतालों व नर्सिंग होम में सुरक्षित रखा गया था. प्राइवेट अस्पतालों व नर्सिंग होम पर डी एम व सी एम् ओ के निर्देश व इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन व इलाहाबाद नर्सिंग होम एसोसिएशन के सहयोग से मरीज रखें जाने की व्यवस्था की गई थी.
दो शव विच्छेदन गृह थे,एक स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल व दूसरा मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की देखरेख में चल रहा था. अन्य किसी भी शव विच्छेदन गृह का उपयोग नहीं किया गया.
कोर्ट ने याची की पत्नी की भगदड़ में मौत का कोई व्योरा न देने पर तल्ख टिप्पणी की.कहा बिना कोई जानकारी दिया,बिना अटाप्सी रिपोर्ट के याची के बेटे को लाश सौंप दी गई.मृत शरीर अस्पताल से आया या सीधे लाया गया या लावारिस पड़ी थी ,इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई. शव विच्छेदन गृह से बाहर मृत शरीर सौंपा गया.और चार माह बीत जाने के बाद कोई मुआवजा नहीं दिया गया है.
सरकार की तरफ से कहा गया याची दावा करेगा तो विचार किया जायेगा. कोर्ट ने कहा राज्य का दायित्व वह मुआवजे का परिवार को भुगतान करें, सुदूर से आये लोगों से मुआवजे की मांग करने की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए. कोर्ट ने याची को मुआवजे पर निर्णय लेने तथा हादसे में घायल व मृत का पूरा विवरण देने का निर्देश दिया है.
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