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Dabur और Patanjali के बीच Chyavanprash विज्ञापन पर छिड़ा विवाद, पढ़ें क्या है पूरा मामला

डाबर ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ याचिका दायर कर आरोप लगाया कि पतंजलि का च्यवनप्राश उत्पाद बच्चों के लिए हानिकारक है और इसके विज्ञापनों में मर्करी की मात्रा के बारे में डिस्क्लेमर नहीं दिया गया है.

Dabur Patanjali chyawanprash ad dispute

डाबर पतंजलि च्यवनप्राश विज्ञापन विवाद

उपभोक्ता वस्तुओं की दिग्गज कंपनी डाबर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई डाबर ने दलीलें पूरी कर ली है. पतंजलि की ओर से 27 जनवरी को पक्ष रखा जाएगा. दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस मिनी पुष्करणा की बेंच याचिका पर सुनवाई कर रही है. मामले की सुनवाई के दौरान डाबर की ओर से पेश वकील ने पतंजलि के च्यवनप्राश में मर्करी की मात्रा है. जिसको लेकर पतंजलि ने डिस्क्लेमर नही दिया है, जबकि कानूनी रूप से डिस्क्लेमर देना चाहिए.

डाबर ने कहा कि बच्चों के लिए हानिकारक है. डाबर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि पतंजलि आयुर्वेद उसके च्यवनप्राश उत्पादों के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन चला रहा है. डाबर ने पतंजलि को अपमानजनक विज्ञापन चलाने से रोकने के आदेश देने का आग्रह किया है.

बता दें कि जब डाबर ने अपनी अर्जी डालकर इस पर सुनवाई की गुहार लगाई तो कोर्ट ने इसे शुरू में मध्यस्थता के लिए भेजने की इच्छा जताई, लेकिन डाबर ने बार-बार इस मामले में तत्काल राहत की गुहार लगाई तो उन्होंने अंततः मामले की सुनवाई करने का फैसला किया था. डाबर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद एक आदतन अपराधी है. इसके साथ ही उन्होंने इस साल की शुरुआत में पतंजलि के खिलाफ दर्ज अवमानना याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लेख किया, जिसमें पतंजलि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने अखबारों में लिखित माफीनामा छपवाया था.

अखिल सिब्बल ने यह भी कहा था कि सभी च्यवनप्राश को प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथो में उल्लिखित विशिष्ट फ़ॉर्मूलेशन और अयवयो का पालन करना चाहिए, जिससे साधारण च्यवनप्राश की धारणा भ्रामक और डाबर जैसी प्रतिस्पर्धियों के लिए हानिकारक हो जाती है, जिसकी इस सेगमेंट में 61.6 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है.

जानें क्या है पूरा मामला

दरअसल डाबर को पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक स्वामी रामदेव के एक विज्ञापन से दिक्कत है. इस विज्ञापन में रामदेव कहते हैं-जिनको आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नही, चरक, सुश्रुत, धन्वंतरी और च्यवनऋषि की परंपरा में मूल च्यवनप्राश कैसे बना बना पाएंगे. इससे ये ध्वनि निकलती है कि सिर्फ पतंजलि स्पेशल च्वनप्राश ही मूल है और बाजार में अन्य च्यवनप्राश के निर्माताओं को परंपरा के बारे में कोई जानकारी नही है, और नतीजतन वे सभी नकली या साधारण है. बता दें कि 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को च्यवनप्राश के विज्ञापन को प्रकाशित या प्रसारित करने पर रोक लगा दिया था.

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-भारत एक्सप्रेस 



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