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अनाधिकृत निर्माण करने वाले तथा सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण करने वालों को अन्य नागरिकों की अपेक्षा की अनुमति नही: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने तैमूर नगर नाले पर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों को दूसरों की तुलना में विशेष अधिकार नहीं मिल सकते.

Delhi High Court
Edited by Akansha

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अनाधिकृत निर्माण करने वाले तथा सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण करने वालों को अन्य नागरिकों की अपेक्षा अपने कथित अधिकारों का दावा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. जस्टिस प्रतिबा मनिंदर सिंह और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने यह टिप्पणी तैमूर नगर नाले को अवरुद्ध करने वाले अतिक्रमण को हटाने के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के खिलाफ दाखिल अर्जी पर सुनवाई के दौरान की है.

कोर्ट 26 मई को करेगा मामले की सुनवाई

कोर्ट 26 मई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. अदालत ने इसके साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को अतिक्रमण हटाने की अनुमति दे दी. उसने कहा कि अतिक्रमण हटाने के दौरान अगर कोई बुजुर्ग महिला या बच्चे है तो उन्हें बिना किसी कानून और व्यवस्था के शांतिपूर्ण तरीके से अपना सामान हटाने की अनुमति दी जाए.

पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दिया जाता है रैन बसेरों

वहां के निवासी अस्थायी आधार पर रैन बसेरों में जाने के लिए स्वतंत्र है. लेकिन दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के वकील ने कहा कि रैन बसेरों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दिया जाता है. इसलिए सभी आवेदकों के परिवारों को समायोजित करना संभव नहीं हो सकता है.

ये भी पढ़ें: एनएचपीसी के अध्यक्ष को हटाने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट 15 मई को करेगा सुनवाई

डीयूएसआईबी इस मामले में कर रहा असहयोग

कोर्ट ने इसपर कहा कि डीयूएसआईबी इस मामले में असहयोग कर रहा है. उसकी यह जिम्मेदारी होगी कि वह सुनिश्चित करे कि इन परिवारों को पर्याप्त रूप से रात्रि विश्राम उपलब्ध कराया जाए. अन्यथा उसके पास डीयूएसआईबी के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.

-भारत एक्सप्रेस 


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