
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि माता-पिता के बीच वैवाहिक विवाद के आधार पर कोई स्कूल किसी बच्चे को स्थानांतरण प्रमाण पत्र देने से इनकार नहीं कर सकता है. कोर्ट ने स्कूल से एक सप्ताह के भीतर बच्चें का स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी करें इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया है. बच्चें ने कोर्ट से कहा था कि उसके स्कूल ने उसे स्थानांतरण प्रमाण पत्र इसलिए जारी करने से मना कर दिया, क्योंकि उसके पिता ने स्कूल को प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया था. साथ ही सर्टिफिकेट जारी न करने के लिए स्कूल को पत्र लिखा था.
स्कूल TC देने से इनकार नहीं कर सकता-कोर्ट
जस्टिस विकास महाजन ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि स्कूल किसी बच्चें को स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार नही कर सकता है. स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी करने में देरी की. स्थिति में स्कूल के प्रधानाध्यापक या प्रभारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है. यह कहने की जरूरत नही है कि वैवाहिक या अभिभावक विवाद में बच्चें का हित सर्वोपरि है.
नाबालिग की मां की ओर से दायर की गई थी याचिका
अदालत में एक नाबालिग की मां की ओर से दायर याचिका में कहा था कि स्कूल उसे स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी नही कर रहा है. इसलिए दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय और मोंटफोर्ट स्कूल को उसे स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया जाए. पिछले साल अप्रैल में अपने पिता से अलग होने के बाद बच्ची गुरुग्राम में अपनी मां के साथ रह रही है.
स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी न करने की ये थी वजह
साथ ही बच्ची का दाखिला गुरुग्राम के स्कूल में हो गया. लेकिन मोंटफोर्ट स्कूल उसे स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी करने से इस वजह से मना कर दिया कि उसके पिता ने स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी न करने के लिए स्कूल को पत्र लिखा था. कोर्ट को बताया गया कि माता-पिता के बीच अभिभावकत्व का विवाद पारिवारिक अदालत के समक्ष लंबित है. कोर्ट ने कहा कि स्कूल उसके आदेश से असंतुष्ट होने की दशा में याचिका पुनर्जिवित करने के लिए स्वतंत्र होगा.
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