
supreme court

मध्य प्रदेश के भिंड में पत्रकारों की पिटाई के मामले में दोनों पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पत्रकारों को दो सप्ताह में हाई कोर्ट जाने को कहा है. तब तक गिरफ्तारी से कोर्ट ने अंतरिम संरक्षण दे दिया है.
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की अवकाशकालीन पीठ ने समक्ष राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है, बल्कि दोनों पर उगाही का आरोप लगा है. कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत इस याचिका पर विचार करने के पक्ष में नहीं है. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि जब तक याचिकाकर्ता हाई कोर्ट नहीं जाता, तब तक याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी नहीं होगी.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों की ओर से पेश वकील से कई सवाल पूछा था, कोर्ट ने पूछा था कि आपकी जान को खतरा क्यों है? आपने हमें क्यों नहीं बताया कि आपने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया हैं? कोर्ट ने कहा था कि मान लीजिए कि आप हत्या जैसे अपराध करते है, तो क्या हम आपको कोई बलपूर्वक संरक्षण आदेश नहीं से सकते. कोर्ट ने कहा था कि हमे जानना होगा कि पुलिस किस तरह के अपराध का आरोप लगा रही है. कोर्ट ने कहा था कि आपने पिछले दिनों जो कहानी बनाई थी, वह याचिका में नहीं आई है.
पत्रकारों ने मांगी थी अग्रिम जमानत
बता दें कि शशिकांत गोयल और अमरकांत चौहान ने याचिका दायर कर अग्रिम जमानत की मांग की थी. पत्रकारों का आरोप है कि पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्यालय के अंदर उनकी पिटाई की गई है. पत्रकारों का आरोप है कि मध्य प्रदेश में भू-माफिया के खिलाफ रिपोर्टिंग के बाद पुलिस उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा था कि यह बहुत गंभीर है, पत्रकारों को पुलिस स्टेशन में पीटा गया. वे अब शरण लेने के लिए दिल्ली भागे हैं. उन्हें झूठी गिरफ्तारी और केस का डर है.
पत्रकारों ने पुलिस पर लगाया मारपीट का आरोप
पत्रकारों का कहना है कि पुलिस की सह पर जिले में रोड़ पर अवैध वसूली चल रही थी. जिसको लेकर पुलिस के खिलाफ खबरों को प्रकाशित किया गया था. जिसके चलते उनकी पिटाई की गई है. इतना ही नहीं पत्रकारों और उनके परिजनों को झूठे केसों में फंसाने की धमकी भी दी. एसपी व थाना प्रभारियों की अभद्रता और मारपीट के बाद पीड़ित पत्रकारों ने अपना घर और जिला छोड़ दिया है.
मारपीट के बाद पीड़ित पत्रकारों ने कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव आवेदन देकर अपनी आपबीती बताई है. पुलिस ने एक पत्रकारों को फोन करके धमकी दी और खबर को डिलीट करने को कहा है. सभी पत्रकारों में भय का माहौल है. पुलिस के खिलाफ लिखने व कहने की जिला के अन्य किसी पत्रकारों की हिम्मत नहीं हो रही है.
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