
टीएमसी के सांसद और राज्य सभा सांसद साकेत गोखले ने मानहानि मामले में बिना शर्त माफी मांग ली है. सिंगल बेंच ने गोखले के पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पूरी को कथित मानहानि के लिए 50 लाख रुपये का हर्जाना अदा करने और माफीनामा प्रकाशित करने का निर्देश दिया था. गोखले ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि उन्होंने 13 और 23 जून 2021 को लक्ष्मी पूरी पर विदेश में गलत और बिना सबूत के संपत्ति खरीदने का आरोप लगाया था, जिसके लिए वे माफी मांगते है.
कोर्ट ने 50 लाख रुपए का हर्जाना देने का दिया था निर्देश
दिल्ली हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने गोखले को सार्वजनिक माफी मांगने और लक्ष्मी पूरी को 50 लाख रुपए का हर्जाना देने का निर्देश दिया था. साथ ही कोर्ट ने गोखले को आगे कोई मानहानिकारक टिप्पणी करने पर रोक लगा दिया था और आदेशों की अवहेलना पर सिविल डिटेंशन की चेतावनी दी थी. गोखले ने यह सार्वजनिक माफीनामा तब जारी किया गया जब कोर्ट ने यह पाया कि गोखले ने जुलाई 2024 के फैसले और मई 2025 में दी गई. समयसीमा का पालन नहीं किया गया है.
लक्ष्मी पूरी ने साकेत गोखले के विरुद्ध अवमानना याचिका की दायर
पिछली सुनवाई में गोखले ने कोर्ट को बताया था कि वह सिंगल-जज के निर्देशानुसार माफी प्रकाशित करेंगे. एक जुलाई के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर लक्ष्मी पूरी ने साकेत गोखले के विरुद्ध अवमानना याचिका दायर की है. जोकि एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित है. मामले की सुनवाई के दौरान साकेत गोखले की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमित सिब्बल ने कहा था कि ट्विटर पर की गई टिप्पणियां न्यायसंगत और लोकतांत्रिक आलोचना के तहत आती है.
उन्होंने कहा था कि मैंने ट्वीट्स में प्रतिवादी का नाम तक नहीं लिया और न ही किसी भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. बिना साक्ष्य के आदेश दिया गया. इससे पहले हाई कोर्ट ने साकेत गोखले की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था. गोखले ने कोर्ट से आग्रह किया था कि उनके खिलाफ ₹50 लाख हर्जाना भरने और माफ़ी मांगने के आदेश को वापस लिया जाए. इससे पहले लक्ष्मी पुरी ने गोखले के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था जिसमें उन्होंने आर्थिक तंगी का हवाला देकर हर्जाना न देने की पेशकश की थी.
जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने साकेत गोखले को दिया झटका
बता दें कि हाल ही में जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने साकेत गोखले को झटका देते हुए, उनकी सैलरी को कुर्क करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि डिक्रिटल राशि जमा न करने के लिए कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया गया. वेतन के संबंध में धारा 60 (आई) सीपीसी के मुताबिक कुर्की के वारंट जारी किए जाए, जो कि 1.9 लाख रुपए प्रति माह बताया गया है.
कोर्ट ने दिया था निर्देश
कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जब तक 50 लाख रुपए की धनराशि कोर्ट में जमा नहीं हो जाती, तब तक वेतन कुर्क रहेगा. लक्ष्मी पूरी की ओर से पेश वकील ने कहा था कि डिक्री द्वारा निर्णय ऋणी को माफी प्रकाशित करने और 27 अगस्त 2024 तक 50 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है. लक्ष्मी पूरी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा था कि हम ऑर्डर 21 रूल 41 (3) के तहत अर्जी दाखिल करेंगे, जिसमें कहा गया है कि अगर कोर्ट के निर्देशों के अनुसार हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता है, तो 3 महीने की जेल की सजा है. कोई डिटेल नहीं आई है. उन्हें कार्रवाई के कारण से लेकर डिक्री तक बैंक और संपत्ति का ब्यौरा दाखिल करना था.
कोर्ट ने गोखले के वेतन की कुर्की के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 60 का अवलोकन किया. कोर्ट ने कहा था कि हम सीआईसी के अनुसार दो तिहाई तक वेतन कुर्क कर सकते हैं. कोर्ट ने पिछले साल 1 जुलाई को गोखले से चार सप्ताह के भीतर सोशल मीडिया पर मांगने और पूरी को 50 लाख रुपए का हर्जाना देने को कहा था. उस आदेश के क्रियान्वयन नहीं होने पर पूरी ने याचिका दाखिल कर आदेश को क्रियान्वयन की मांग की थी.
-भारत एक्सप्रेस
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