
सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: IANS)
लोकसभा-विधानसभा चुनाव में किसी सीट पर एक ही उम्मीदवार होने पर भी यदि मतदाता के पास नोटा का विकल्प मौजूद है तो संबंधित प्रत्याशी का मतदान कराए बिना निर्विरोध निर्वाचन कैसे हो सकता है? इसको लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर किसी को 10 फीसदी लोग भी वोट नही देते तो हमें उसे संसद क्यों भेजना चाहिए?
इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट नया कानून नही बना सकता है. इस तरह की व्यवस्था अगर लानी भी है, तो उसके लिए संसद को लोगों की राय जानना पड़ेगा. उसके बाद भी कानून में बदलाव किया जा सकता है.
कोर्ट ने कहा कि वह कोई अनिवार्य आदेश नहीं दे रहा है. कोर्ट इस मुद्दे पर सरकार का जवाब चाहता है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 53(2) को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर जुलाई में इस मामले में अगली सुनवाई करेगी.
मतदाताओं का अधिकार या व्यर्थ प्रावधान?
याचिका में कहा गया है कि यह प्रावधान मतदाताओं को नोटा चुनने के अधिकार से वंचित करता है. मामले की सुनवाई के दौरान बदलते राजनीतिक परिदृश्य में ऐसा भी हो सकता है कि एक धनी उम्मीदवार अन्य सभी उम्मीदवारों पर अपना नाम वापस लेने के लिए दबाव बना ले. वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह सब काल्पनिक है. निर्विरोध उम्मीदवारों की घोषणा के मात्र 9 उदाहरण है. कोर्ट ने कहा कि अगर किसी प्रत्याशी के दबाव के चलते कोई और नामांकन के करें, तो लोगों को बिना मतदान का अवसर दिए एकलौते प्रत्याशी को चुना हुआ मान लिया जाएगा.
कोर्ट ने कहा कि भारत में मजबूत और उच्चस्तरीय लोकतांत्रिक व्यवस्था है. ऐसे में कम से कम यह देखा जाना चाहिए कि किसी उम्मीदवार को कितने समर्थन देते है. वही वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि हमारे अनुभव में, नोटा एक असफल विचार है. जिसपर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने कहा कि मैं वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी के विचार से.सहमत हूं. कोर्ट कानून को रद्द नहीं कर सकता है.
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इसमें न केवल सरकार, बल्कि अन्य हितधारक भी शामिल होंगे. कुछ विचार-विमर्श हो चुके हैं. इसलिए सुनवाई को कुछ और दिन के लिए टाल दिया जाए, जिसपर कोर्ट ने टाल दिया. बता दें कि धारा 53 लड़े गए और निर्विरोध चुनावों की प्रक्रिया से संबंधित है और धारा 53 (2) कहती है कि अगर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या भरी जाने वाली सीट की संख्या के बराबर हैं, तो चुनाव अधिकारी तुरंत ऐसे.सभी उम्मीदवारों को उन सीट को भरने के लिए विधिवत निर्वार्चित घोषित करेगा.
-भारत एक्सप्रेस
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