
सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड की गैरमौजूदगी पर आपत्ति जताई है. जस्टिस बेला त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की गरिमा बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया है. कोर्ट ने कहा कि आम लोग सुप्रीम कोर्ट की ओर देखते है. हम केवल माफी स्वीकार नहीं करेंगे, इसे कानूनी और तार्किक निष्कर्ष तक ले जाया जाएगा.
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि हाई कोर्ट और जिला अदालतें सुप्रीम कोर्ट की तुलना में अधिक प्रभावी ढंग से कार्य कर रही हैं. जब एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड ने जिम्मेदारी स्वीकार की, तो पीठ ने सख्ती कहा कि आपके पास इसे स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नही है.
एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड की जिम्मेदारी स्वीकारने पर कोर्ट की सख्ती
कोर्ट ने कहा कि माफी पर्याप्त नही होगी. कोर्ट उस मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने उस वकील की अनुपस्थिति पर आपत्ति जताई थी, जिसने यह याचिका दायर की थी. इससे पहले जस्टिस बेला त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया था कि अब से वे जजमेंट में सिर्फ सीनियर वकील, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड और उन वकीलों की उपस्थिति को ही रिकॉर्ड किया जाएगा जो सुनवाई के समय कोर्ट में शारीरिक रूप से उपस्थित हैं और मामले में जिरह कर रहे है. इसके साथ ही एक सहायक वकील की मौजूदगी को दर्ज किया जाएगा.
कोर्ट ने यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में उपस्थिति को पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट नियम 2013 के अनुसार होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया था कि हर वकालतनामा या उपस्थिति का ज्ञापन मामला में जिम्मेदारी और जवाबदेही के साथ आता है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड द्वारा उठाए गए तर्कों को खारिज करते हुए कहा था कि रिकॉर्ड उपस्थिति वकील की चैंबर आवंटन, चुनावों में भागीदारी आदि पर प्रभाव डालता है.
-भारत एक्सप्रेस
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