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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया अल्टीमेटम, सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना एक सप्ताह में लागू करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना लागू करने में केंद्र सरकार की देरी पर नाराजगी जताई है और एक सप्ताह के भीतर योजना लागू करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने गोल्डन ऑवर स्कीम को लागू न करने पर केंद्र को फटकार लगाई.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट.

सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना की अधिसूचना में देरी पर केंद्र सरकार को एक बार फिर फटकार लगाई है. साथ ही कोर्ट ने पिछले तीन सालों में लागू नही करने पर नाराजगी जताई है. जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने अवमानना की कार्यवाही की चेतावनी देते हुए गोल्डन ऑवर स्कीम को एक सप्ताह के भीतर लागू करने का आदेश दिया है.

वही केंद्र सरकार ने देरी के लिए जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआईसी) को जिम्मेदार गहराया है. जिसका जीआईसी की ओर से पेश वकील ने विरोध किया. वही कोर्ट के आदेश के बाद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने कहा कि पहले योजना इसलिए नही.नही हो पाई क्योंकि जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने इसमें बाधाएं उत्पन्न की.

केंद्र सरकार ने जीआईसी को दी जिम्मेदारी

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ” लोग सड़क दुर्घटनाओं में मर रहे हैं. आप विशाल हाइवे बना रहे हैं, लेकिन लोग वहां मर रहे हैं क्योंकि वहां कोई सुविधा नहीं है. कोई गोल्डन ऑवर ट्रीटमैंट योजना नहीं है. इतने हाइवे बनाने का क्या फायदा?” वही केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि MORTH अन्य चुनौतियों को भी हल करने का प्रयास कर रहा हैं, जो बाद में सामने आई और जो कैशलेस योजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए आवश्यक हैं. जिसपर जस्टिस ओका ने कहा कि आपको कहीं से शुरुआत करनी होगी. आप बाद में योजना में सुधार कर सकते है. जीआईसी के वकील ने अपनी अंतरिम याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी जिसे कोर्ट ने देते हुए, याचिका को खारिज कर दिया.

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था याचिकाकर्ता ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है. हमारे देश में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं. इसके कारण अलग-अलग हो सकते है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को तलब किया था. साथ ही कोर्ट ने गोल्डन ऑवर ( दुर्घटना के बाद का पहला घंटा, जब त्वरित इलाज से मौत दर कम की जा सकती है) के दौरान सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस इलाज की योजना न बनाने पर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई थी.

जीआईसी की याचिका को खारिज किया

कोर्ट ने कहा था कि आदेश का पालन नही करने पर अवमानना नोटिस जारी किया जाएगा. जस्टिस अभय ओका ने कहा था कि हम यह बहुत स्पष्ट रूप से कह रहे है कि यदि हमें यह पाया गया कि कोई प्रगति नहीं हुई है, तो हम अवमानना नोटिस जारी करेंगे. जस्टिस ओका ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि लोग अपनी जान गंवा रहे हैं क्योंकि इलाज नही मिल पा रहा है. सचिव को बुलाइये उन्हें आकर स्थिति स्पष्ट करने दीजिए.

इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि गोल्डन ऑवर के दौरान कैशलेस इलाज की व्यवस्था करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के दायरे में आता है. जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों को गोल्डन ऑवर के दौरान कैशलेस इलाज सुनिश्चित करने के लिए योजना तैयार करने को कहा था. कोर्ट ने योजना को 14 मार्च 2025 तक तैयार करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार को दिया गया समय 14 मार्च 2025 को समाप्त हो चुका है. हमारे अनुसार यह न केवल इस अदालत के आदेश का गंभीर उल्लंघन है, बल्कि यह एक अत्यंत लाभकारी विधायी प्रावधान को लागू करने में विफलता का मामला है.

कोर्ट की सख्ती: योजना को 14 मार्च 2025 तक लागू करना होगा

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि गोल्डन ऑवर के दौरान कैशलेस इलाज की योजना बनाना न केवल संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार की रक्षा करता है, बल्कि यह मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 के तहत केंद्र सरकार का वैधानिक दायित्व भी है.

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि योजना को.मोटर वाहन अधिनियम की 162 की उपधारा (2) के अनुसार यथाशीघ्र तथा किसी भी स्थिति में 14 मार्च 2025 तक लागू किया जाना चाहिए. यह भी साफ कर दिया था कि कोर्ट इसके लिए और समय नही देगा.

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-भारत एक्सप्रेस 



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