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मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर नए कानून को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट 14 मई को करेगा सुनवाई

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर 14 मई को सुनवाई होगी. याचिका में नए कानून को संविधान के अनुच्छेद 14 और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णय के खिलाफ बताया गया है.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट.

नए कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 14 मई को सुनवाई करेगा. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामले में फिलहाल सुनवाई संभव नही है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश प्रशांत भूषण ने कोर्ट से आग्रह किया कि इसपर जल्दी सुनवाई कर ली जाए. क्योंकि आज यह मामला 33 नंबर पर लगा है. कोर्ट ने कहा कि जल्द सुनवाई संभव नही है.

यह याचिका मध्य प्रदेश से कांग्रेस नेता जया ठाकुर सहित अन्य की ओर से दायर की गई है. याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कानून के मुताबिक तीन सदस्यीय समिति में तीसरे सदस्य के चयन में बदलाव किया जाना चाहिए. तीन सदस्यीय समिति में प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता द्वारा तीसरा सदस्य चुना जाना चाहिए.

जया ठाकुर सहित कई याचिकाकर्ताओं ने दी चुनौती

नए कानून के मुताबिक तीसरा सदस्य केंद्रीय मंत्री होने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता नहीं लायी जा सकती. ऐसे में अदालत इस पहलू की समीक्षा करे. वही जया ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा है कि  बरनवाल बनाम भारत संघ और अन्य के मामले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का उल्लंघन है.

अनूप बरनवाल मामले में फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा था कि पैनल में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होने चाहिए. वही, नए कानून में सीजेआई की जगह कैबिनेट मंत्री को बतौर सदस्य रखा गया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है. 2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि CEC और EC की नियुक्ति तीन सदस्यीय पैनल की तरफ से की जाएगी. इसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे.

केंद्र सरकार ने 2023 में जो कानून बनाया है उसमें सिलेक्शन कमिटी में चीफ जस्टिस को हराकर उनकी जगह पीएम की ओर से नामित केंद्रीय मंत्री को रखा गया है. इस तरह से सिलेक्शन प्रक्रिया खतरे में होगी और हेरफेर का आदेश है क्योंकि सिलेक्शन प्रक्रिया एग्जेक्युटिव के कंट्रोल में होगा.

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-भारत एक्सप्रेस 



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