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डीजीपी नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना याचिका पर नोटिस किया जारी

सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी नियुक्ति मामले में अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया. झारखंड सरकार पर यूपीएससी नियमों के उल्लंघन का आरोप है. मई के पहले हफ्ते में अगली सुनवाई होगी.

Supreme Court
Aarika Singh Edited by Aarika Singh

सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी के पद पर नियुक्ति से संबंधित मामले में दायर अवमानना याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट मई के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगा. याचिका में मुख्य सचिव, अलका तिवारी, गृह सचिव वंदना डाडेल, डीजीपी अनुराग गुप्ता, सेवानिवृत्त न्यायाधीश रतनाकर भेंगरा और नीरज सिन्हा को प्रतिवादी बनाया है. सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के. वी विश्वनाथन की पीठ अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही है.

कोर्ट मई को पहले हफ्ते में अगली सुनवाई करेगा. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार कानून अपने हाथ में ले रही है. यह मामला बाबू लाल मरांडी द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है. जिसमें उन्होंने कई डीजीपी की नियुक्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करने से जुड़ी कई याचिकाएं दायर की थी. याचिका में कहा गया है कि डीजीपी की नियुक्ति यूपीएससी के अनुशंसित पैनल द्वारा की जाती है. लेकिन हेमंत सरकार ने यूपीएससी को दरकिनार कर अपनी मर्जी से उन्हें डीजीपी बना दिया.

झारखंड ने DGP की नियुक्ति के लिए बनाई नई नियमावली

जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि जब तक राज्य सरकार कोई नया कानून नहीं बनाती, तब तक यूपीएससी की प्रक्रिया से ही नियुक्ति होगी. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर 2006 को दिए गए अपने आदेश में यह कहा था कि राज्य सरकार डीजीपी के पद पर प्रोन्नत होने वाले अधिकारियों की सूची लोक सेवा आयोग को भेजेगी. आयोग द्वारा तैयार पैनल से सरकार किसी को डीजीपी के पद पर नियुक्त करेगी. नियुक्ति की तिथि से डीजीपी का कार्यकाल दो साल के लिए होगा, भले ही उसके सेवानिवृत्ति की तिथि पहले हो डीजीपी की नियुक्ति पूरी तरह मेरिट के आधार पर होगी.

इसमें किसी तरह का दबाव या प्रभाव का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. बता दें कि झारखंड सरकार ने अब डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली बनाई है. इसके तहत नॉमिनेशन कमेटी बनाई गई है. इसी समिति ने अनुराग गुप्ता के नाम पर मुहर लगाई. इसके बाद उन्हें स्थाई डीजीपी बनाया गया है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर 2006 को दिए गए अपने आदेश में यह कहा था कि राज्य सरकार डीजीपी के पद पर प्रोन्नत होने वाले अधिकारियों की सूची लोक सेवा आयोग को भेजेगी. आयोग द्वारा तैयार पैनल में से सरकार किसी को डीजीपी के पद पर नियुक्त करेगी. अनुराग गुप्ता के मामले में झारखंड सरकार द्वारा ऐसा नही किया गया और यूपीएससी को नाम भेजे परमानेंट डीजीपी बना दिया था.

-भारत एक्सप्रेस



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