
कर्नाटक में नेताओं और जजों को हनीट्रैप के मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई को तैयार हो गया है. याचिका में सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एसआईटी गठित कर मामले की जांच की मांग की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील बरुण सिन्हा ने सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ से जल्द सुनवाई की मांग की. जिसपर पीठ ने जल्द सुनवाई का भरोसा दिया है.
याचिका में कहा गया है कि निगरानी समिति को उन सभी अधिकारियों व व्यक्तियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए जो इसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ उठाया है. आरोप एक मौजूदा मंत्री द्वारा लगाए गए हैं, जिन्होंने खुद को पीड़ित बताया है, याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि हनीट्रैप जैसे तरीकों से समझौता करने वाले न्यायाधीश न्यायिक स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा पैदा करते है, और संस्था में जनता के विश्वास को गंभीर रूप से कमजोर करते है.
निगरानी समिति से मामले की विस्तृत जांच की मांग
याचिका में यह भी कहा गया है कि कई मीडिया रिपोर्ट और सोशल मीडिया के कारण शोर शराबा हो चुका है. ऐसे में यह जरूरी है कि यह अदालत देश के न्यायिक प्रणाली में प्रतिष्ठा और जनता के विश्वास के बचाने के लिए कदम उठाए. हाल ही में कर्नाटक सरकार के सहकारिता मंत्री के एन राजन्ना ने विधानसभा में दावा किया था कि केंद्रीय नेताओं सहित 48 राजनेता हनीट्रैप में फंस गए है.
राजन्ना ने कहा था कि कर्नाटक को सीडी और पेन ड्राइव फैक्ट्री कहा जा रहा है. इनके मुताबिक 48 लोगों की सीडी और पेन ड्राइव उपलब्ध है. इसमें कई केंद्रीय मंत्री भी फंसे है. कई विधायकों ने मंत्री राजन्ना के बयान का समर्थन किया है. विपक्ष के नेता आर अशोक ने मांग की है कि मामले की जांच एक सिटिंग जज से कराई जाए और सरकार से मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है.
उन्होंने कहा हनीट्रैप मामले की जांच मौजूदा जज से कराई जानी चाहिए. हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए. गृह मंत्री को यह घोषणा करनी चाहिए कि वह किस तरह की जांच कराएंगे. वही डीके शिवकुमार ने कहा कि कांग्रेस की कर्नाटक यूनिट के प्रमुख के तौर पर उन्होंने राजन्ना से बात की और उनसे शिकायत दर्ज कराने को कहा. सदन में बयान देते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि अगर हनीट्रैप मामले में किसी मे शामिल होने की पुष्टि होती है तो उसे बक्शा नहीं जाएगा.
-भारत एक्सप्रेस
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