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सुप्रीम कोर्ट ने नाइजीरियाई नागरिक की हिरासत मामले में हस्तक्षेप करने से किया इनकार, जानें क्या है पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट ने नाइजीरियाई नागरिक की हिरासत में लेने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और केंद्र को तीन महीने में उसकी भारतीय नागरिकता के आवेदन पर फैसला लेने का आदेश दिया.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नाइजीरियाई नागरिक की हिरासत में लिए जाने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर भारतीय नागरिकता के लिए उसके आवेदन पर फैसला लेने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि नाइजीरियाई नागरिक, जिसके पास फर्जी वीजा पाया गया और वह अपराधों में शामिल पाया गया, उसने एक भारतीय महिला से शादी की थी. कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें नाइजीरियाई नागरिक को विशेष शिविर (एफ) में हिरासत में लिए जाने को बरकरार रखा गया था.

कोर्ट का मामले में हस्तक्षेप से इनकार

जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि याचिकाकर्ता को एक अन्य अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था और उसे न्यायिक हिरासत में ले लिया गया था, जहां बाद में उसे जमानत दे दी गई थी. उसका वीजा समाप्त हो चुका था और उसके पास फर्जी वीजा और अन्य दस्तावेज पाए गए थे. भारत में रहने वाले बंदी की पत्नी ने मद्रास हाई कोर्ट के 18 जून, 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए एक विशेष अनुमति याचिका दायर की, जिसके तहत न्यायालय ने राज्य सरकार के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

नाइजीरियाई नागरिक के पास 5 पासपोर्ट थे

मद्रास हाईकोर्ट ने जनहित के आधार पर सरकारी आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया क्योंकि उसने पाया कि कार्यवाही के दौरान यह पता चला कि नाइजीरियाई नागरिक के पास पांच पासपोर्ट थे. उसने एक झूठी वेबसाइट बनाई थी और 40 लाख रुपये की ठगी की थी. उच्च न्यायालय के 18 जून के आदेश के खिलाफ वर्तमान एसएलपी दायर की गई है. इन आरोपों पर हाई कोर्ट ने विचार किया और सर्वोच्च न्यायालय को भी निर्णय में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया.

अप्रैल में सेशन कोर्ट से मिली थी जमानत

अलुको ओलुवा टोबी जोन्स को आईपीसी की धारा 420 और धारा 406 और आईटी एक्ट की धारा 66 ई के तहत उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में 17 अप्रैल 2024 को सेशन कोर्ट जमानत दी गई. हालांकि इससे पहले कि वह जमानत पर बाहर आ पाता और जमानत पर रिहा होता, तमिलनाडु सरकार ने 26 अप्रैल को सरकारी आदेश जारी कर उसे विशेष हिरासत शिविर में सीमित कर दिया. जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुचा है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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