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सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को लगाई फटकार, विदेशी साबित लोगों को तुरंत डिपोर्ट करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को हिरासत में रखे गए विदेशी नागरिकों को तुरंत डिपोर्ट करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि अब तक अवैध अप्रवासियों को क्यों नहीं निकाला गया और 25 फरवरी को अगली सुनवाई तय की.

Supreme Court
असम में घुसपैठियों को सालों से हिरासत में रखे जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को आड़े हाथ लिया है. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने असम सरकार से कहा कि जब हिरासत में लिए गए लोग विदेशी साबित हो चुके है तो तत्काल उन्हें भेज दिया जाए. मामले की सुनवाई के दौरान असम के मुख्य सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए.
कोर्ट ने असम सरकार से पूछा कि विदेशियों को डिपोर्ट क्यों नहीं किया गया. जस्टिस अभय ओका ने असम के मुख्य सचिव से कहा आपने डिपोर्ट शुरू करने से यह कहते हुए इनकार किया है कि उनके पते का पता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि आप बिना पते को भी डिपोर्ट कर सकते है. असम सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि बिना पते का हम उन्हें कहां डिपोर्ट करें. सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है. कमेटी हर दो सप्ताह में कैंप का दौरा करेगी. यह कमेटी कैंप में रह रहे विदेशियों को सुख सुविधाओं का ख्याल रखेगी.

25 फरवरी को इस मामले में अगली सुनवाई

कोर्ट ने असम सरकार से दो हफ्ते में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है. वही कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, कि जिन विदेशियों की राष्ट्रीयता का पता नहीं है. उन मामलों से केंद्र सरकार कैसे निपटेगी. कोर्ट 25 फरवरी को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल असम सरकार को विदेशी के रूप में हिरासत में लिए गए 63 लोगों को उनके मूल देश में डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 जीवन का मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशियों के लिए भी है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि अब तक कितने अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट किया गया है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 25 मार्च 1971 या उसके बाद असम आने वाले सभी बांग्लादेशी प्रवासियों को घोषित किया था. कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6 ए के तहत 1 जनवरी 1966 से पहले में असम में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशियों को भारतीय नागरिकता माना जाएगा. कोर्ट ने यह भी कहा था कि 1 जनवरी 1966 और 24 मार्च 1971 के बीच राज्य में आने वालों को कुछ शर्तों के तहत 10 साल बाद ही नागरिकता दी जानी चाहिए थी.
-भारत एक्सप्रेस 


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