
सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: IANS)
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में कथित आरोपी अरविंद सिंह की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को फटकार लगाई है. जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी अब यह चलन बन गया है. कोर्ट ने कहा कि ईडी ने कई मामलों में यही तरीका अपनाया है. आप बिना किसी सबूत के केवल आरोप लगाते हैं. इस तरीके से अभियोजन पक्ष इस कोर्ट के सामने नही टिक पायेगा.
कोर्ट 9 मई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. कोर्ट ने पूछा कि जब 40 करोड़ रुपये की कमाई का दावा है, तो अरविंद सिंह का.संबंध कंपनी से स्पष्ट रूप से क्यों नही दिखाया गया.
ईडी का आरोप: मिलीभगत से की गई करोड़ों की कमाई
मामले की सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने आरोप लगाया कि अरविंद सिंह ने विकास अग्रवाल नाम के एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलीभगत करके 40 करोड़ रुपये कमाए. जिसपर कोर्ट ने पूछा कि विकास अग्रवाल को आरोपी बनाया गया है या नही, एएसजी राजू ने जवाब देते हुए कहा कि अग्रवाल फिलहाल फरार है. बता दें कि यह कथित घोटाला 2019-2022 के बीच हुआ था. जिसमें 2,161 करोड़ रुपये की हानि का अनुमान है.
ईडी जांच में तत्कालीन आईएएस अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के अधिकारी अरुनपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर और अरविंद सिंह सहित नेताओं और मंत्रियों के सिंडिकेट का खुलासा किया था. गौरतलब है कि मनी लॉन्ड्रिंग मामला 2022 में दिल्ली की एक अदालत में दायर आयकर विभाग की चार्जशीट से उपजा है.
छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप है कि शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय से शराब खरीदने के दौरान रिश्वतखोरी हुई. प्रति शराब मामले के आधार पर राज्य में डिस्टिकर्स से रिश्वत ली गई और देशी शराब को ऑफ-द बुक बेचा गया. ईडी के मुताबिक डिस्टिलर्स से कार्टेल बनाने और बाजार में एक निश्चित हिस्सेदारी की अनुमति देने के लिए रिश्वत ली गई थी.
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-भारत एक्सप्रेस
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