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लोकपाल द्वारा एक सिटिंग जज के खिलाफ शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट 15 अप्रैल को करेगा सुनवाई

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने इस मामले में कोर्ट की सहायता के लिए वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है.

Supreme Court

लोकपाल द्वारा एक सिटिंग जज के खिलाफ शिकायत पर विचार करने के मामले में लिए स्वतः संज्ञान पर 15 अप्रैल को सुनवाई करेगा. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने इस मामले में कोर्ट की सहायता के लिए वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है. वहीं शिकायतकर्ता ने अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट के जज के खिलाफ शिकायत पर सुनवाई करना लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में नही आता है, उन्होंने कहा कि लोकपाल के सिर्फ एक सेक्शन की जांच करने की जरूरत है. जिसपर कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के जज संवैधानिक शक्ति हैं और लोकपाल और उनके खिलाफ शिकायत नही सुन सकते हैं.

क्या कभी संवैधानिक प्राधिकार से शिकायत दर्ज की जा सकती है?

वही वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह एक बुनियादी मुद्दा है. सवाल यह है कि क्या संवैधानिक प्राधिकार के दायरे से बाहर कभी शिकायत दर्ज की जा सकती है? एसजी तुषार मेहता ने कहा कि क्या कोई पुलिस स्टेशन जाकर संवैधानिक न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा सकता है, यह यहां बकम विषय नहीं है. पुलिस कैसे विचार करेगी, किसकी मंजूरी ली जाएगी, ये मुद्दे नहीं है. जिसपर जस्टिस गवई ने वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार से कहा कि शिकायतकर्ता का कुछ और ही दृष्टिकोण है, जो सिब्बल और एसजी से अलग है. क्या आप कोर्ट की सहायता कर सकते है? ताकि हर मुद्दे पर विचार किया जा सके.

जस्टिस सूर्यकांत ने कही ये बात

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह एक तरफा नही लगना चाहिए. जस्टिस गवई ने यह साफ कर दिया गया केवल लोकपाल अधिनियम के तहत अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर विचार करेंगे. पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा था कि यह मामला बहुत परेशान करने वाला है. कोर्ट ने कहा था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़ा यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि हाई कोर्ट जज कभी भी लोकपाल के दायरे में नहीं आएंगे. कोर्ट ने शिकायतकर्ता की पहचान को गोपनीय रखने का आदेश दिया है.

लोकपाल ने 27 जनवरी को दिया था यह आदेश

वही सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि असाधारण रूप से यह खतरे से भरा है. लोकपाल ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि हाई कोर्ट के न्यायाधीश लोकपाल कानून की धारा 14 के दायरे में आते है. हालांकि लोकपाल ने मामले पर आगे बढ़ने से पहले यह आदेश और शिकायत और संबंधित सामग्री पर विचार के लिए सीजेआई संजीव खन्ना को भेजा है. लोकपाल ने 27 जनवरी को यह आदेश दिया था. लोकपाल का यह आदेश हाई कोर्ट के न्यायधीशों के खिलाफ भ्र्ष्टाचार की शिकायतों पर सुनवाई का एक नया दरवाजा खोलता है.

लोकपाल को मिली थीं दो शिकायतें

बता दें कि लोकपाल को दो शिकायतें मिली थीं, जिनमें हाई कोर्ट के वर्तमान अतिरिक्त न्यायाधीश पर एक अतिरिक्त जिला जज और हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश को एक कंपनी के मामले में प्रभावित करने का आरोप लगाया गया है. जिस हाई कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत की गई है, वह पहले वकालत करता था, उस दौरान वह प्राइवेट कंपनी उसका मुवक्किल थी. जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के न्यायाधीश लोकसेवक की परिभाषा में आते हैं और लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 न्यायाधीशों को इससे बाहर नहीं करता। जिन श्रेणियों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है, उनका स्पष्ट रूप से कानून में जिक्र है.

-भारत एक्सप्रेस 



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