Bharat Express

सुप्रीम कोर्ट शंभू बॉर्डर सहित अन्य सभी बॉर्डर खोलने की मांग वाली याचिका पर 9 दिसंबर को करेगा सुनवाई

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार, पंजाब सरकार और हरियाणा सरकार को आदेश दे कि सभी राज्यों के बॉर्डर खोले जाए. याची गौरव लूथरा ने कहा कि बॉर्डर बंद करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 9 दिसंबर को सुनवाई करेगा. किसानों द्वारा दायर की गई याचिका में शंभू बॉर्डर सहित सभी अन्य बॉर्डर खोलने की मांग की गई है.

यह याचिका पंजाब के रहने वाले गौरव लूथरा ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार, पंजाब सरकार और हरियाणा सरकार को आदेश दे कि सभी राज्यों के बॉर्डर खोले जाए. गौरव लूथरा ने कहा कि बॉर्डर बंद करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.

इसलिए हम सभी राज्यों के बॉर्डर खोलने की मांग कर रहे है. साथ ही इसमें सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है कि सभी राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे ट्रैक आंदोलकारी किसानों द्वारा अवरुद्ध न किए जाए. ये नेशनल हाईवे एक्ट और भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस के तहत भी अपराध है. ऐसे में हाइवे को रोकने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.

किसान 13 फरवरी से शंभु बॉर्डर पर डटे हैं

बता दें कि एमएसपी सहित अपनी मांगों को लेकर हरियाणा-पंजाब के किसान 13 फरवरी से शंभु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इसको लेकर 7 नवंबर को जनहित याचिका दायर की गई थी.

हालही में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल मामले में कहा था कि वे प्रदर्शनकारी किसानों को राजमार्गों को बाधित न करने और लोगों को असुविधा न पहुचाने के लिए राजी करें. कोर्ट ने पंजाब के किसानों से कहा था कि लोगों को बाधित करने और लोगों को असुविधा पहुचाने से बचें. लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन लोगों को असुविधा ना पहुचाए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि हम इस पर टिप्पणी नहीं कर रहे है कि विरोध सही है या गलत.

10 महीनों से केंद्र से कोई बातचीत नहीं

बता दें कि केंद्र सरकार पर किसानों ने उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कदम न उठाने का आरोप लगाया है और दावा किया है कि 18 फरवरी के बाद से केंद्र सरकार ने उनके मुद्दों पर उनसे कोई बातचीत नहीं की है.

एमएसपी के लिए कानून गारंटी के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे है.


ये भी पढ़ें: Farmers Protest: हरियाणा बॉर्डर पर अब किसान नेताओं का ‘नो दिल्ली चलो’ मार्च, पुलिस से झड़प के बाद बदली रणनीति


-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read