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मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने में मददगार है अरोमाथेरेपी, जानें कैसे मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद है यह थेरेपी?

Aromatherapy benefits: अरोमाथेरेपी में प्राकृतिक सुगंधों का उपयोग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुधारने के लिए किया जाता है. यह तनाव, थकान, नींद की समस्या, और कई शारीरिक दर्दों में राहत देने में सहायक है.

aromatherapy benefits

Aromatherapy benefits: सुगंध, जिसकी महक न सिर्फ हमें अच्छी लगती है बल्कि इससे कई रोगों का इलाज भी संभव है. सुगंध का प्रभाव सीधा हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है. एक अच्छी सुगंध कई बार हमारे मूड को ही बदल देती है. सुगंध की किस प्रकार से चिकित्सा के लिए इस्तेमाल की जा सकती है, हम अरोमाथेरेपी में देखने के लिए मिलता है. अरोमाथेरेपी में सुगंधित पौधों की जड़, तना, पत्ती और तेल का भी उपयोग किया जाता है.

अरोमाथेरेपी विधि सिर्फ सुगंध को सूंघने पर ही निर्भर नहीं होती बल्कि एसेंशियल ऑयल्स के जरिए त्वचा पर मसाज करके भी इसके चिकित्सीय लाभ उठाए जाते हैं. अरोमा का अर्थ है ‘खुशबू’ और ‘थेरेपी’ का अर्थ है चिकित्सा. अरोमाथेरेपी न केवल तनाव से जूझ रहे लोगों के लिए वरदान है बल्कि थकान को भी कम करने के लिए एक बेहतरीन तरीका है.

सुगंधित पौधों, जड़ी-बूटियों, फूलों, छाल, पत्तों जैसी प्राकृतिक तत्वों से निकाले जाने वाले एसेंशियल ऑयल्स का उपयोग सदियों से भारत के अलावा दुनिया के कई हिस्सों में होता रहा है. रिसर्च के अनुसार एसेंशियल ऑयल्स के इस्तेमाल से न केवल मन शांत होता है और थकान भी मिटती है बल्कि जिन लोगों को अनिद्रा की शिकायत है उनके लिए भी अरोमाथेरेपी रामबाण है. यह व्यक्ति को फ्रेश करने का एक शानदार तरीका है. आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में यह थेरेपी और भी उपयोगी साबित हो रही है.

अरोमाथेरेपी का इस्तेमाल दर्द कम करने में, नींद न आने की समस्या में, जोड़ों के दर्द को आराम देने में, सिरदर्द और माइग्रेन में राहत देने में, कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने में, प्रसव के दौरान तकलीफ कम करने में, पाचन सुधारने में भी किया जाता है.

तनाव और चिंता को कम करने का उपाय

अरोमाथेरेपी सर्दी और फ्लू को ठीक करने में मदद करने के साथ बैक्टीरिया के संक्रमण को कम करने में भी सहायक हो सकती है. अरोमाथेरेपी में बहुत से एसेंशियल ऑयल्स उपयोग में लाए जाते हैं. जिनमें आमतौर पर लैवेंडर, यूकेलिप्टस, पीपरमेंट, चमेली, तुलसी, रोजमेरी, गुलाब, सौंफ, अदरक, लेमनग्रास आदि का इस्तेमाल किया जाता है.

मुख्य रूप से अरोमाथेरेपी सूंघने और त्वचा से तेल अवशोषण के जरिए काम करती है. ऐसा करने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है; जैसे डिफ्यूजर, खुशबू वाले स्प्रे, इन्हेलर सूंघने की क्रिया पर काम करते हैं. वहीं, नहाने के पानी में मिलाकर, मालिश के लिए तेल, क्रीम या लोशन, चेहरे पर भाप लेना, गर्म या ठंडी सिकाई, मिट्टी के लेप त्वचा के जरिए अवशोषण पर कार्य करते हैं.

लैवेंडर तो पुराने समय से ही चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाता रहा है. तनाव, चिंता या खराब मूड को ठीक करने के लिए लैवेंडर अरोमाथेरेपी का उपयोग किया जाता है. लैवेंडर की खुशबू मन को शांति देती है. ऐसे ही यूकेलिप्टस के एसेंशियल ऑयल की खुशबू लेने से बंद गले को साफ करने और खांसी को ठीक करने में मदद मिल सकती है.

अरोमाथेरेपी के उपयोग के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

चमेली की हल्की खुशबू सूंघने से तरोताजा महसूस होता है. यह तनाव या अवसाद जैसी मानसिक स्थितियों से निपटने में भी सहायक साबित हो सकती है. वहीं तुलसी का पौधा लगभग हर घर में पाया जाता है. इसका धार्मिक और चिकित्सीय दोनों महत्व है. तुलसी का प्रयोग सर्दी, जुकाम, सर्दी के साथ ब्लड प्रेशर, हृदय गति को सामान्य करने में मदद कर सकता है.

हालांकि यह ध्यान देना जरूरी है कि अरोमाथेरेपी एक पूरक चिकित्सा है जिससे किसी बीमारी के कुछ लक्षणों में राहत मिल सकती है, पर ये डॉक्टर द्वारा किए जा रहे उपचार की जगह नहीं ले सकती है.

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-भारत एक्सप्रेस



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