
बांह और हथेलियों के सभी जोड़ो जैसे अंगुली, कलाई,केहुनी,कंधे गर्दन,कमर,कुल्हा,घुटनों के जोड़े में केवल दर्द बना रहे तो उस अवस्था को आर्थ्राल्जिया कहा जाता है और यही दर्द के साथ सूजन,जकड़न और गर्म भी महसूस हो तो इस अवस्था को गठिया या आर्थराइटिस कहा जाता है. आर्थ्राल्जिया एक लक्षण के रुप में आता है लेकिन जब ये सूजन के साथ जकड़न और गर्म का रुप ले लेता है तो ये एक बीमारी के रुप में बदल जाती है.
गठिया के चार मुख्य कारण
1. प्रदाह (Inflammation)
जोड़ो में जलन या गर्माहट महसूस होना.
इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी के कारण होने वाली सूजन को ऑटोइम्यून डिजीज कहा जाता है.
2. संक्रमण (Infection)
टीबी, बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण से भी आर्थराइटिस हो सकता है.
3. बढ़ती उम्र के कारण (Degenerative Arthritis)
उम्र बढ़ने से हड्डियों और जोड़ो की सतह में घिसाव होता है, जिसे डीजनरेटिव आर्थराइटिस कहते हैं.
चोट या दुर्घटना के कारण भी यह हो सकता है.
4. यूरिक एसिड का बढ़ना (Gouty Arthritis)
शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने से गांठें बनती हैं और जोड़ों में दर्द होता है.
रुमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)
यदि जोड़ों का दर्द छह हफ्तों से अधिक बना रहे तो यह रुमेटाइड आर्थराइटिस हो सकता है. भारत में हर 1000 में से लगभग 7 लोग इससे प्रभावित हैं. डीजनरेटिव आर्थराइटिस महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक पाया जाता है. खराब जीवनशैली, खानपान और प्रदूषण इसकी बढ़ती समस्या के मुख्य कारण हैं.
गठिया के शुरुआती लक्षण
- हाथ और पैरों के छोटे-छोटे जोड़ो में दर्द और सूजन.
- सुबह के समय जकड़न और दर्द अधिक होना.
- मुंह का सूखा रहना.
- थकान और कमजोरी महसूस होना.
- शरीर में गर्माहट बनी रहना.
- पाचन कमजोर होना.
- गठिया का शरीर के आंतरिक अंगों पर असर.
- धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का जमाव बढ़ता है.
रुमेटाइड आर्थराइटिस के संभावित कारण
1. पर्यावरणीय कारण
बैक्टीरिया और वायरस के बार-बार संक्रमण से जोखिम बढ़ता है.
2. आनुवंशिक कारण
परिवार में किसी को होने पर खुद को भी होने की संभावना रहती है.
3. हार्मोनल परिवर्तन
महिलाओं में हार्मोनल बदलाव से भी इसका खतरा बढ़ता है.
4. जीवनशैली
धूम्रपान, तम्बाकू सेवन, मोटापा, व्यायाम की कमी और जंक फूड का सेवन.
सही समय पर इलाज क्यों जरुरी है?
अगर सही समय पर इलाज न कराया जाए तो रुमेटाइड आर्थराइटिस लाइलाज हो सकता है और स्थायी नुकसान हो सकता है.
गठिया का इलाज किससे कराएं?
गठिया की शिकायत आने पर Rheumatologist के यहां ही जाए क्योंकि पूरा आकलन करने के बाद ही इसका ईलाज मुमकिन है. इसमें कुछ खास परिक्षण होते है जो रोग की गहराई का पता चलता है. जैसे- RF,ESR,Anti-ccp,CPR इन टेस्ट से पता किया जाता है.
आयुर्वेद के अनुसार क्या खाएं और क्या न खाएं-
- गठिया में गेहूं की मनाही की गई है इसका सेवन न करें,इसकी जगह पर आप बाजरा आटा,जौ आटा,रागी आटा,ब्राउन राइस,रेड राइस,ब्लैक राइस ले सकते हैं.
- खाने में देशी गाय का घी जरुर लें.
- डिब्बा बंद के घी,तेल का कम से कम प्रयोग करें और कोल्ड-प्रेस्ड तेल का इस्तेमाल करें,गठिया में तिल,अलसी के तेल को सही बताया गया है.
- बिना भूख के खाना न खाएं और कभी ज्यादा न खाएं.
- हरी सब्जी का ज्यादे प्रयोग करें.
- मेथी,अल्फा,गाजर के बीज को अंकुरित करके लेना चाहिए.
- फलों का सेवन करें जो ठंडे प्रकृति के न हो.
-भारत एक्सप्रेस
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