
भृंगराज के फायदें
Bhringraj Benefits: सड़क किनारे चलते-चलते आपको कई पेड़-पौधे दिखते हैं, इनमें मौजूद एक साधारण पौधा आयुर्वेद के लिए असाधारण रत्न से कम नहीं है. इसमें इतने औषधीय गुण मौजूद होते हैं कि बाल से लेकर लिवर, पाचन, डायबिटीज जैसी समस्याओं में बेहद कारगर साबित होता है. हम बात कर रहे हैं भृंगराज पौधे की. यह पौधा देखने में भले ही मामूली लगे, लेकिन आयुर्वेद में यह एक ‘रत्न’ समान है. लेकिन इसका महत्व सिर्फ बालों तक सीमित नहीं. यह पौधा लीवर को डिटॉक्स करने, ब्लड शुगर को कंट्रोल करने और पाचन को दुरुस्त रखने में भी सदियों से आयुर्वेदिक चिकित्सा का हिस्सा रहा है. ऐसे में चलिए जानते हैं भृंगराज के फायदों के बारे में.
क्या है भृंगराज?
भृंगराज को वनस्पति विज्ञान में एक्लिप्टा अल्बा कहा जाता है. यह आस्टेरेसी कुल का सदस्य है. भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों में यह बहुतायत में पाया जाता है. ग्रामीण इलाकों में इसे ‘घमरा’ या ‘भांगड़ा’ जैसे नामों से जाना जाता है. इसकी तीखी गंध और स्वाद के पीछे छिपे हैं औषधीय गुणों के भंडार, जिन्हें आयुर्वेद ने हजारों साल पहले ही पहचान लिया था. चरक संहिता में इसे ‘पित्तशामक’ और ‘रक्तशोधक’ बताया गया है, जो लीवर की कार्यक्षमता बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने में सक्षम माना जाता है.
बालों के लिए किसी वरदान से कम नहीं यह पौधा
बालों के लिए तो यह पौधा किसी वरदान से कम नहीं. आधुनिक समय में असमय सफेद होते बाल, टूटते हुए रेशे और रूसी की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए भृंगराज का तेल एक प्राकृतिक समाधान है. इसके नियमित उपयोग से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं, रक्त संचार बेहतर होता है और केराटिन का उत्पादन बढ़ता है. यही नहीं, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीफंगल गुण सिर की त्वचा को संक्रमण से बचाते हैं और डैंड्रफ से मुक्ति दिलाते हैं.
पत्तों को पीसकर बनाते हैं लेप
ग्रामीण इलाकों में आज भी बुजुर्ग इसके पत्तों को पीसकर लेप बनाते हैं और बालों में लगाते हैं, जबकि शहरी इलाकों में लोग इसके तेल को महंगे ब्रांड्स से खरीदते हैं. इसका तेल घर पर भी आसानी से बनाया जा सकता है. नारियल या सरसों के तेल में भृंगराज की पत्तियों को उबालकर, जिससे इसका सार तेल में समा जाता है. बालों के अलावा, यह पौधा शरीर के आंतरिक स्वास्थ्य के लिए भी उतना ही गुणकारी है.
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पाचन तंत्र को बनाए मजबूत
आयुर्वेद के अनुसार, भृंगराज का रस या कैप्सूल लीवर को डिटॉक्सिफाई करने में अहम भूमिका निभाता है. यह पित्त के स्राव को संतुलित करता है और फैटी लीवर, पीलिया जैसे रोगों में राहत देता है. शोध बताते हैं कि इसमें मौजूद ‘वेडेलोलैक्टोन’ नामक यौगिक लीवर सेल्स के पुनर्जनन में मदद करता है. साथ ही, यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाने वाली ‘जठराग्नि’ को प्रज्वलित करता है, जिससे भोजन का पाचन और पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है. पेट की गैस, अल्सर और मतली जैसी समस्याओं में भी यह कारगर है.
डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद
डायबिटीज के मरीजों के लिए भी भृंगराज रामबाण है. इसके कसैले गुण और एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक प्रभाव ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक माने गए हैं. आयुर्वेदिक चिकित्सक इसे नियमित आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं, खासकर मधुमेह के प्रारंभिक चरणों में. प्रकृति के इस उपहार को अपनाने के लिए न तो ज्यादा खर्च की जरूरत है और न ही जटिल प्रक्रिया की. गमलों में भी इसे उगाया जा सकता है. जिस पौधे को अक्सर ‘खरपतवार’ समझकर उखाड़ दिया जाता है, वही आयुर्वेद की नजर में स्वास्थ्य का खजाना है.
-भारत एक्सप्रेस
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