
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. ऑफिस की जिम्मेदारियां और परिवार को समय देने का दबाव दोनों ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है. ऐसे में एक अच्छा वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखना बेहद जरूरी हो जाता है. बीते कुछ वर्षों में वर्क-लाइफ बैलेंस एक गंभीर मुद्दा बनकर उभरा है. काम जितना जरूरी है, परिवार को समय देना भी उतना ही अहम है.
हालांकि, काम और परिवार के बीच सामान्यता बैठाने के प्रयास में माता-पिता अक्सर अपनी मानसिक शांति को नजरअंदाज कर देते हैं. इसका असर यह होता है कि न तो वे अपने काम पर पूरी तरह ध्यान दे पाते हैं और न ही बच्चों के साथ अच्छा वक्त बिता पाते हैं.
वर्क-लाइफ बैलेंस क्या है?
वर्क-लाइफ बैलेंस (Work-Life Balance) को बनाए रखना हर किसी के लिए काफी जरूरी होता है. यह जरूरी नहीं कि आप जितना समय अपने काम को दें, उतना ही परिवार या व्यक्तिगत जीवन को भी दें. असली बैलेंस का मतलब है—अपने बच्चों और परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताना. यदि आप खुद को इस उलझन में फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं और सही संतुलन नहीं बना पा रहे हैं, तो ये टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं.
फ्लेक्सिबल रूटीन अपनाएं
अपने रोजाना के शेड्यूल को फ्लेक्सिबल बनाएं. अगर किसी दिन काम ज्यादा है, तो उस दिन बच्चों के साथ कम समय बिताने के लिए गिल्ट फील न करें. लेकिन कुछ ऐसे दिन जरूर तय करें जब आप पूरी तरह से बच्चों को समय दें. इससे न केवल आप मानसिक रूप से बेहतर महसूस करेंगे, बल्कि बच्चे और आपके बीच रिलेशन भी मजबूद होगा.
अपनी उम्मीदें को सीमित करें
अक्सर जरूरत से ज्यादा उम्मीदें तनाव का कारण बनती हैं. परफेक्शन हासिल करने की कोशिश में खुद को थकाने से बचें. हर चीज़ में परफेक्ट होने का दबाव आपको मानसिक रूप से कमजोर कर सकता है. इसलिए खुद से बहुत ज्यादा उम्मीदें न पालें और जो संभव हो, उतना ही करें.
रोजाना कामों से ब्रेक लें
अगर आपके पास रोज बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का मौका नहीं है, तो हर हफ्ते या 10-15 दिनों में एक दिन ऐसा जरूर निकालें जब आप पूरी तरह से परिवार के साथ रहें. यह समय बच्चों के साथ गेम खेलने, मूवी देखने या बाहर घूमने में बिताया जा सकता है. इससे आपका भी मूड फ्रेश रहेगा और बच्चे भी आपके साथ बिताए समय की तारीफ करेंगे.
सेल्फ-केयर को पहले रखें
स्वस्थ जीवन के लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सेहत पर ध्यान देना जरूरी है. मेडिटेशन करें, योग करें, स्पा थेरेपी लें या अपनी पसंद का कोई भी काम करें जिससे आपको खुशी मिलती हो. याद रखें, एक खुशहाल और हेल्दी पेरेंट ही अपने बच्चे की सही परवरिश कर सकता है.
जरूरत पड़ने पर मदद लें
अगर काम के बाद आप थकान से चूर हो जाते हैं और फिर भी घर की जिम्मेदारियां निभाने की कोशिश करते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है. ऐसे में परिवार के अन्य सदस्यों, दोस्तों या पड़ोसियों की मदद लेने से हिचकिचाएं नहीं. जरूरत महसूस हो, तो प्रोफेशनल काउंसलिंग लेने में भी कोई बुराई नहीं है.
वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखना आसान नहीं है, लेकिन थोड़े प्रयास और सही रणनीतियों से इसे हासिल किया जा सकता है. फ्लेक्सिबल रूटीन, ब्रेक लेना, अपेक्षाएं कम करना, सेल्फ-केयर और जरूरत पड़ने पर मदद लेना, ये कुछ ऐसे उपाय हैं जो आपको तनावमुक्त जीवन जीने में मदद कर सकते हैं. संतुलन बनाकर चलने से न केवल आपका करियर बेहतर होगा, बल्कि आप अपने परिवार के साथ भी अधिक खुशहाल समय बिता पाएंगे.
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-भारत एक्सप्रेस
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