नीरज चोपड़ा और अरशद नदीम (फोटो- IANS)
पेरिस ओलंपिक की भाला फेंक स्पर्धा में पाकिस्तान के अरशद नदीम से पिछड़ कर दूसरे स्थान पर रहने वाले भारत के नीरज चोपड़ा ने कहा कि वह कामना करते हैं कि उनकी प्रतिस्पर्धा इतनी ही मजबूत बनी रहे. जियोसिनेमा पर बोलते हुए, अरशद नदीम ने पाकिस्तान और भारत की पहली और दूसरी जीत के महत्व पर कहा: “मैं वास्तव में खुश हूं. भाग लेने वाले सैकड़ों देशों में से, पाकिस्तान और भारत ने वास्तव में अच्छा प्रदर्शन किया है. नीरज ने बुडापेस्ट में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता , और यह मेरे लिए एक सुनहरा क्षण है. हमारी दोस्ती वास्तव में मजबूत है, और मैं चाहता हूं कि यह लंबे समय तक जारी रहे.”
उनके बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पर नीरज चोपड़ा ने कहा: “यह एक बहुत ही स्वस्थ प्रतिस्पर्धा थी, जिसमें अरशद ने बहुत अच्छा काम किया और ओलंपिक रिकॉर्ड तोड़ा. उन्हें बहुत-बहुत बधाई. मैं कामना करता हूं कि हमारी प्रतिस्पर्धा इसी तरह मजबूत बनी रहे, हम कड़ी मेहनत करते रहें, और हमारे देशों में उन बच्चों को प्रेरित करते हुए भाला फेंक में सहायता प्रदान करें जो इस खेल को अपनाना चाहते हैं.”
चोपड़ा ने इस पर बात की कि क्या उनकी सफलता से दोनों देशों के लिए एथलेटिक्स में उछाल आएगा: “यह पहले से ही बहुत विकसित हो चुका है. हम पहले से ही भारत में अधिक प्रतिभाशाली भाला फेंकने वाले देख रहे हैं. पाकिस्तान में भी ऐसा ही हो रहा है. जब हम एशियाई खेलों में गए थे और अरशद घुटने की चोट के कारण प्रतिस्पर्धा नहीं कर सके, उनके स्थान पर आए यासिर सुल्तान ने बहुत अच्छा थ्रो किया. अरशद ने अभी जो पदक जीता है, वह और अधिक बच्चों को इसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित करेगा, जो बहुत अच्छा है.”
नदीम ने बताया कि उन्होंने अपने ओलंपिक रिकॉर्ड थ्रो की क्लिप कितनी बार देखी है: “मैंने इसे कुछ बार देखा है, और मुझे लगता है कि मुझमें और भी बेहतर करने की क्षमता है. एक दिन मुझे उम्मीद है कि मैं इस क्षमता का प्रदर्शन कर सकता हूं.”
चोपड़ा ने अरशद के कई बार 90 मीटर के आंकड़े को पार करने के बारे में बात की: “मैं 2018 एशियाई खेलों के बाद से उस निशान को पार करना चाहता हूं जहां मैंने 88 मीटर फेंका था. मुझे लगता है कि मैं 90 मीटर को पार कर जाऊंगा, लेकिन मैं ऐसा क्यों नहीं कर पा रहा हूं इसके पीछे तकनीकी और चोट के कारण हैं. मैं अपनी अधिकतम पहुंच तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहा हूं, इसके लिए मुझे कड़ी मेहनत करनी होगी और खुद को फिट रखना होगा.”
क्या भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता क्रिकेट से भाला फेंक में बदल जाएगी, इस पर चोपड़ा ने कहा, “यह तभी संभव होगा जब हमारे पास क्रिकेट की तरह अधिक प्रतियोगिताएं होंगी. हमारे पास दो प्रमुख प्रतियोगिताएं हैं: हर चार साल में ओलंपिक और हर दो साल में विश्व चैंपियनशिप. यदि हमारे पास अधिक प्रतियोगिताएं होंगी, अधिक लोग देखेंगे, जैसे डायमंड लीग और कुछ अन्य.”
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-भारत एक्सप्रेस
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