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ज्येष्ठ मास का दूसरा बड़ा मंगल आज, हनुमान जी लगाएंगे बेड़ा पार, बस कर लें ये आसान काम

Bada Mangal: इस साल का दूसरा बड़ा मंगल आज है. ऐसे में हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए आसान और प्रभावशाली उपाय जानिए.

Hanumanji

हनुमान जी.

Bada Mangal 2024: वैसे तो प्रत्येक मंगलवार हनुमान जी को समर्पित है. लेकिन, ज्येष्ठ मास में पड़ने वाला बड़ा मंगल बजरंगबली की कृपा पाने के लिए बेहद खास और मंगलकारी माना गया है. ज्येष्ठ मास का दूसरा बड़ा मंगल 4 जून को यानी आज है. बड़ा मंगल को बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन हनुमान की विशेष पूजा-अर्चना करने से हर प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं. ऐसे में आज बड़ा मंगल पर हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए आसान उपाय जानते हैं.

बड़ा मंगल पर कैसे करें हनुमान जी को प्रसन्न?

सुबह उठकर सबसे पहले स्नान इत्यादि से निवृत हो जाएं.

पूजा स्थल पर हनुमान की प्रतिमा स्थापित करें.

पूरब की ओर मुंह करके बैठें. इसके बाद हनुमान को गंगाजल से स्नान कराएं.

इसके बाद उन्हें साफ पानी से स्नान कराएं.

ध्यान रहे कि हनुमान जी को पंचामृत से स्नान नहीं कराया जाता है.

हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर के आगे घी का दीया जलाएं.

हनुमान जो को पान अर्पित करें.

पूजन के अंत में कपूर जलाकर हनुमान जी की आरती करें और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें.

हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की

जाके बल से गिरवर कांपे
रोग-दोष जाके निकट न झांके
अंजनि पुत्र महा बलदाई
संतन के प्रभु सदा सहाई
आरती कीजै हनुमान लला की

दे वीरा रघुनाथ पठाए
लंका जारि सिया सुधि लाये
लंका सो कोट समुद्र सी खाई
जात पवनसुत बार न लाई
आरती कीजै हनुमान लला की

लंका जारि असुर संहारे
सियाराम जी के काज संवारे
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे
लाये संजिवन प्राण उबारे
आरती कीजै हनुमान लला की

पैठि पताल तोरि जमकारे
अहिरावण की भुजा उखारे
बाईं भुजा असुर दल मारे
दाहिने भुजा संतजन तारे
आरती कीजै हनुमान लला की

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें
जय जय जय हनुमान उचारें
कंचन थार कपूर लौ छाई
आरती करत अंजना माई
आरती कीजै हनुमान लला की

जो हनुमानजी की आरती गावे
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे
लंक विध्वंस किये रघुराई
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई

आरती कीजै हनुमान लला की
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की

हनुमान जी की स्तुति

मनोजवं मारुत तुल्यवेगं
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम्
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्ये

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