(फोटो: IANS)
Makar Sankranti 2025: जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो हिन्दू पर्व मकर संक्रांति मनाया जाता है. 2025 में 14 जनवरी को पवित्र दिवस मनाया जा रहा है. इस त्योहार को देश के सभी राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. इसे ‘खिचड़ी’ के नाम से भी जाना जाता है.
ऐसी मान्यता है कि इस दिन चावल, उड़द और तिल दान का विशेष महत्व रहता है. इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है. मतलब यह कि इस दिन से सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ना शुरू हो जाता है. मकर संक्रांति में दान का क्या महत्व है, इस बारे में समाचार एजेंसी आईएएनएस ने ज्योतिष और वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ गायत्री शर्मा से बात की.
कई नामों में मनाई जाती है संक्रांति
उन्होंने बताया, ‘मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी को बनाई जाएगी. इसे मनाने का विशेष कारण होता है कि सूर्य धनु राशि से मकर राशि में जाता है. सूर्य उत्तरायण की ओर चलना शुरू हो जाता है. विशेष रूप से मकर संक्रांति पूरे भारत में ही मनाई जाती है. इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. एक दिन पहले पंजाब में लोहड़ी मनाई जाती है. बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में खिचड़ी नाम लोकप्रिय है, तो दक्षिण भारत में इसे पोंगल नाम से मनाया जाता है.’
दान का विशेष महत्व
दान के महत्व पर बात करते हुए गायत्री शर्मा ने कहा, ‘इसमें दान का विशेष महत्व होता है. मकर संक्रांति वाले दिन लोग दान, उपवास, स्नान और अनुष्ठान करते हैं. सब अलग-अलग चीजें दान करते हैं और इस दिन शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है.’ उन्होंने कहा, ‘मकर संक्रांति में विशेष रूप से मिठाई, खिचड़ी, खाने की सामग्री और कपड़े भी दान किए जाते हैं. इसके साथ ही उत्तर भारत में सर्दी के मौसम में खाई जाने वाली चीजें गजक, मूंगफली तक भी दान में दी जाती हैं.’
खुलेंगे किस्मत के दरवाजे
शर्मा के मुताबिक ‘लोग मंदिरों में जाकर दान करते हैं. अपने घर की बेटियों को भी ऐसे में कुछ दिया जा सकता है. ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. अनुष्ठान किए जाते हैं.’ मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य करने से बंद किस्मतत के दरवाजे तक खुल सकते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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