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लखनऊ में गोमती नदी के तट पर है त्रेतायुग का अतिप्राचीन मनकामेश्वर मन्दिर, इस वजह से बेहद खास

इस मन्दिर की यह मान्यता है कि यहां की आरती में जो सम्मिलित होता है उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं.

Mankameshwar Temple

मनकामेश्वर मंदिर

आज श्रावण मास का पहला सोमवार है जिसकी वजह से सभी शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. हम आज आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे ही मन्दिर के बारे में जिसको लेकर मान्यता है कि वह मन्दिर रामायणकालीन है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ गोमती नदी के तट पर स्थित है. लखनऊ राजनैतिक तौर पर प्रभावशाली होने के साथ – साथ सांस्कृतिक और पौराणिक तौर पर भी बेहद ही समृद्धशाली है.

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ में एक ऐसा पौराणिक मन्दिर है जिसकी कहानियां काफी दूर – दूर तक फैली हुई हैं. गोमती नदी (Gomati River) के तट पर स्थापित मनकामेश्वर मन्दिर की यह मान्यता है कि जब सीता माता का वन गमन हुआ तो माता सीता से आग्रह कर उनको छोड़ने के लिए लक्ष्मण जी भी साथ में चले गये. सीता जी को वन में छोड़कर वापस आने के दौरान लक्ष्मण जी का मन बहुत विचलित था तब उन्होंने गोमती नदी के तट पर भगवान शिव की आराधना करते हुए माता सीता के जल्द वापसी की कामना की थी. पूजन-अर्चन के बाद लक्ष्मण जी वापस अयोध्या जी के लिए प्रस्थान कर गये.

द्वापर युग में राजा ह्रीणय धनु ने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के बाद इस स्थान पर भव्य मन्दिर का निर्माण कराया था. उस समय तक़रीबन 26 स्वर्ण कलश मन्दिर पर स्थापित किये गये थे लेकिन 12वीं शताब्दी के आसपास मुगल आक्रमणकारियों ने मन्दिर पर हमला करके मन्दिर को तोड़ दिया और मन्दिर के ऊपर लगे स्वर्ण कलश को लूट लिया था.

आज से तकरीबन 500 वर्ष पहले नागा साधुओं ने मुगलों से लड़कर इस मन्दिर का पुन: निर्माण कराकर यहां पूजा अर्चना शुरू किया. जूना अखाड़े से जुड़े हुए इस मन्दिर का सेठ पुरन दास ने पुन: मन्दिर के निर्माण में सहयोग करते हुए मन्दिर को भव्य स्वरूप प्रदान कराया. मनकामेश्‍वर मंदिर (Mankameshwar Temple) में फर्श पर लगे चांदी के सिक्के मंदिर सुंदरता में चार चाँद लगाते हैं. मन्दिर की ऊँचाई तकरीबन 60 फिट है तो वहीं 3.5 फिट के अर्घे में 1.5 फिट ऊँचा शिवलिंग है जिसपर चांदी की कोटिंग है.

श्रावण मास एवं महाशिवरात्रि (Mahashivratri) में लाखों भक्तों का इस मन्दिर में आगमन होता है. मनकामेश्वर मन्दिर के गर्भ गृह में रुद्राभिषेक के लिए पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य है. इस मन्दिर की यह मान्यता है कि यहां की आरती में जो सम्मिलित होता है उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं. स्थानीय श्रद्धालुओं के अनुसार 40 दिन जो भक्त लगातार आकर प्रभु शिव के दर्शन करते हैं उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं. इस मन्दिर में सैकड़ों ऐसे भी भक्त आते हैं जो प्रतिदिन मन्दिर में आकर स्वेच्छा से सेवा कार्य करते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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