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पीएम मोदी नामांकन से पहले क्यों करेंगे काल भैरव के दर्शन? जानें इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

Pm Modi Visit Kaal Bhairav Temple: काशी के कोतवाल कहे जाने वाले काल भैरव से जुड़ी मान्यता है बाबा विश्वनाथ ने इन्हें वाराणसी का कोतवाल बनाया था. इसलिए बाबा विश्वनाथ के भक्त काल भैरव के दर्शन जरूर करते हैं.

PM Modi visit Kaal Bhairav

काल भैरव के दर्शन करते पीएम मोदी.

Pm Modi Visit Kaal bhairav Before Nomination: प्रधानमंत्री मोदी आज यानी 14 अप्रैल को वाराणसी संसदीय सीट से नामांकन करने जा रहे हैं. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी आज 11.45 से 12 बजे के बीच अपना नामांकन करेंगे. इससे पहले वे काशी के काल भैरव मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे. लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी नामांकन से पहले ऐसा क्यों करेंगे? इस सवाल का उत्तर हर कोई जानना चाहेगा.

पीएम मोदी नामांकन से पहले क्यों करेंगे काल भैरव के दर्शन

देश की सांस्कृतिक राजधानी को मंदिरों का शहर कहा जाता है. वाराणसी का काल भैरव मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. पौराणिक ग्रंथो में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ को काशी का राजा कहा गया है. कहा जाता है कि भगवान विश्वनाथ ने काल भैरव को वाराणसी के कोतवाल और सेनापति के रूप में नियुक्त किया. मान्यता है जो कोई काल भैरव के दर्शन करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. मंगलवार को काल भैरव के दर्शन से विशेष लाभ होता है. प्रधानमंत्री मोदी जब कभी वाराणसी जाते हैं तो काल भैरव के दर्शन जरूर करते हैं. पीएम मोदी आज नामांकन से पहले काल भैरव के दर्श करेंगे.

काशी के कोतवाल हैं काल भैरव

काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है. मान्यता है कि काल भैरव की इजाजत के बिना न तो कोई वाराणसी की सीमा में प्रवेश कर सकता है और नहीं इस क्षेत्र में रह सकता है. यहां तक कोई प्रशासनिक अधिकारी भी चार्ज लेने के बाद सबसे पहले काल भैरव के दर्शन-पूजन करता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.

काल भैरव से जुड़ी कथा है दिलचस्प

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्म, विष्णु और महेश में महानता के लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई कि आखिर तीनो में महान कौन हैं. जब शिवजी का जिक्र हुआ तो ब्रह्मा जी ने अपने पांचवे मुंह से शिवजी की आलोचना कर दी. जिसके बाद शिवजी क्रोधित हो गए. तब भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ. कहते हैं कि काल भैरव ने अपने नाखून से बह्मा जी के पांचवे मुख को काट दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि बह्मा जी ने शिवजी की आलोचना की थी. बह्मा जी का कटा हुआ सिर काल भैरव के हाथ में चिपक गया. इसके बाद शिवजी ने काल भैरव से कहा कि उसे बह्म हत्या का पाप लग चुका है. फिर शिवजी ने बह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए तीनों लोकों का भ्रमण करने के लिए कहा.

-भारत एक्सप्रेस

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