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कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की अगली सूची का सबको इंतजार है। नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन उम्मीदवारों को लेकर दोनों दलों का केंद्रीय नेतृत्व दिल्ली में बैठक कर रहा है। राजस्थान में दोनों दलों की सूचियों में इंतजार मारवाड़ की सीटों का रहेगा।

पिछले विधानसभा चुनाव में 200 सीटों वाले राजस्थान में 39 सीटों यानी हर पांचवीं सीट पर करीबी टक्कर थी।

राजस्थान चुनाव में दोनों ही पार्टियों को एक दूसरे के दो-दो दिग्गज चेहरों ने परेशान कर दिया है। कांग्रेस को दीया कुमारी और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ तो वहीं बीजेपी को मुख्यमंत्री गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के सामने मजबूत चेहरा नहीं मिल रहा है।

राजस्थान की राजनीति में जाट वोट बैंक काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। 2018 में 34 जाट विधायक विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए। यही कारण है कि दोनों प्रमुख राजनीतिक संगठनों के साथ ही अन्य दल भी जाट वोट बैंक को साधने की कोशिश करते नजर आते हैं।

जनसभा को संबोधित करते हुए गहलोत ने कांग्रेस सरकार की उपलब्धियां गिनाई हैं. सीएम गहलोत ने कहा कि राजस्थान एकलौता राज्य हैं जहां 25 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा किया गया है.

राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही बीजेपी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष लगातार अपने बेबाक बयान और फैसलों की वजह से चर्चा में है।

कांग्रेस की पहली लिस्ट में सचिन पायलट के साथ मानेसर जाने वाले विधायकों को खूब तरजीह मिली है. हाल ही में अशोक गहलोत ने बयान दिया था कि मानेसर जाने वाले एक भी नेता के टिकट पर मैंने वीटो नहीं लगाया है. गहलोत ने यह भी कहा था कि उन सभी विधायकों का टिकट क्लियर भी हो गया है.

भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है. 83 लोगों की सूची में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया जैसे कद्दावर नाम शामिल हैं. बीजेपी की दूसरी सूची में वसुंधरा गुट को खास तरजीह दी गई है. वसुंधरा राजे के करीब 15 लोगों को पार्टी ने टिकट दिया है.

राजस्थान में कांग्रेस के करीब 100 उम्मीदवारों की पहली सूची कभी भी जारी हो सकती है. जयपुर से लेकर दिल्ली तक दावेदारों की धड़कनें तेज है. इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक बयान ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है. गहलोत ने ऑपरेशन लोटस का जिक्र करते हुए 101 विधायकों के पक्ष में बयान दिए.

'ए वीक इज ए लोंग टाइम इन पॉलिटिक्स' 1964 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री हरोलड विल्सन ने ऐसा कहा था। अगर आप राजस्थान की राजनीति को पिछले 8 दिन से देख रहे हैं। तो काफी कुछ बदल गया है। जो एक साथ फोटो खींचवा रहे थे, वह आज एक दूसरे के सामने खड़े हैं।