
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के लिए लखनऊ में उठी आवाज, जनजागरूकता में जुटे डॉ. राजेश्वर सिंह

BJP MLA Rajeshwar Singh News: उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ से सटे सरोजनीनगर में रविवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें भाजपा के लोकप्रिय विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की. इस कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, हजारों कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने भाग लिया. गोष्ठी का उद्देश्य भारत की चुनाव प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर जन जागरूकता फैलाना और इस विषय पर सार्थक संवाद को बढ़ावा देना था.
बार-बार चुनाव से थक चुका है देश: डॉ. राजेश्वर सिंह
अपने संबोधन में डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा कि भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में बार-बार चुनाव कराना आर्थिक, प्रशासनिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अव्यवहारिक होता जा रहा है. उन्होंने कहा, “100 करोड़ जनता को बार-बार चुनाव में नहीं झोंका जा सकता. शासन में निरंतरता और विकास के लिए एक राष्ट्र, एक चुनाव अनिवार्य है.”
डॉ. राजेश्वर सिंह ने बताया कि भारत की आज़ादी के बाद अब तक 400 से अधिक बार चुनाव कराए जा चुके हैं, जिससे प्रशासनिक संसाधनों पर भारी दबाव पड़ा है और विकास की गति बार-बार बाधित होती रही है.
“हर साल चुनाव नहीं,
हर साल बदलाव चाहिए!”“एक राष्ट्र – एक चुनाव”
न केवल लोकतंत्र को सशक्त बनाएगा,
बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को भी
नया छितिज प्रदान करेगा :GDP में 1.5% (₹4.5 लाख करोड़) तक की संभावित बढ़त,
50% स्वास्थ्य बजट या 33% शिक्षा बजट के बराबर की वृद्धि,
ONOE से… pic.twitter.com/wcYVRK7CDc— Rajeshwar Singh (@RajeshwarS73) April 20, 2025
शिक्षा-विकास प्रभावित, खर्च में होती है भारी बर्बादी
विधायक ने चुनावों में हो रहे भारी खर्च को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि बार-बार चुनावों के चलते शिक्षा बजट का लगभग आधा हिस्सा चुनावों में खर्च हो जाता है. इससे न केवल वित्तीय संसाधनों की बर्बादी होती है बल्कि विकास योजनाओं पर भी असर पड़ता है.
“लोकतंत्र की ताक़त चुनाव में नहीं, उसकी निरंतरता में है!”
देश की आजादी के बाद अब तक देश में 400 बार चुनाव हो चुके हैं और भारत में लगभग प्रत्येक वर्ष कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं।
लगातार होने वाले चुनावों से जनता की गाढ़ी कमाई का राजकीय धन का अनावश्यक व्यय होता है, ‘एक… pic.twitter.com/pkp6vSYoyJ
— Rajeshwar Singh (@RajeshwarS73) April 20, 2025
एक साथ चुनाव के ऐतिहासिक संदर्भ और बाधाएं
डॉ. राजेश्वर सिंह ने ऐतिहासिक दृष्टांत साझा करते हुए बताया कि 1951 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे. यह परंपरा 1970 में चौथी लोकसभा के समयपूर्व विघटन के कारण टूटी और उसके बाद कई विधानसभाएं भी समयपूर्व भंग होती गईं.
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों ने अनुच्छेद 356 का 90 बार दुरुपयोग करते हुए राज्य सरकारों को भंग किया और चुनावी चक्र को बाधित किया.
उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें और विधायी प्रगति
डॉ. राजेश्वर सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि समिति ने 191 दिनों में 18,626 पृष्ठों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की. इसमें 32 राजनीतिक दलों और 80% आम जनता ने एक साथ चुनावों का समर्थन किया.
इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार ने 129वां संविधान संशोधन विधेयक तैयार किया, जिसे दिसंबर 2024 में संसद में प्रस्तुत किया गया और लोकसभा में पारित भी हो गया. वर्तमान में यह विधेयक संयुक्त संसदीय समिति के पास विचाराधीन है.
संविधान संशोधन की आवश्यकता, आगामी रणनीति
विधायक ने स्पष्ट किया कि इस व्यवस्था को लागू करने के लिए संविधान के कई अनुच्छेदों में संशोधन आवश्यक है. इनमें अनुच्छेद 82ए, 324ए, 83, 85, 172, 174, और 327 शामिल हैं. उन्होंने दो-तिहाई बहुमत से इस विधेयक को पारित कराने की आवश्यकता जताई और जनता से अगले चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत देने की अपील की.
राजनीतिक विरोध और विपक्ष की भूमिका पर प्रहार
डॉ. सिंह ने विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि विरोधी दल जातिवादी, तुष्टिकरण और क्षेत्रवाद की राजनीति कर रहे हैं और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ जैसे जनहितकारी सुधार का विरोध सिर्फ इसलिए कर रहे हैं ताकि मोदी-योगी सरकार को विकास पर ध्यान केंद्रित करने से रोका जा सके.
पश्चिम बंगाल और हिंदुओं की स्थिति पर जताई चिंता
गोष्ठी में डॉ. सिंह ने पश्चिम बंगाल में संविधान संशोधन के विरोध में हुई हिंसा और उसमें हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की घटनाओं पर गहरी चिंता जताई. उन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति का भी हवाला देते हुए भारत में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा की जरूरत पर बल दिया.
अन्य भाजपा नेताओं ने भी व्यक्त किए अपने विचार
इस अवसर पर लखनऊ भाजपा जिलाध्यक्ष विजय मौर्या ने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी देश को लगातार आगे ले जा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस की मंशा बार-बार लोकतंत्र को कमजोर करने की रही है.” वहीं भाजपा नेता अभिषेक खरे ने कहा कि बार-बार चुनाव होने से जनता में चुनाव के प्रति उत्साह में भी कमी आती है और संसाधनों की बर्बादी होती है.
उन्होंने कहा कि “एक बार चुनाव से लगभग साढ़े चार लाख करोड़ रुपये की बचत होगी, जिसे जनता की भलाई में लगाया जा सकता है.” उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे केवल ‘संविधान’ लिखी एक किताब दिखाकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं.
भारत को समृद्ध और एकजुट बनाना है: डॉ. राजेश्वर
डॉ. सिंह ने कार्यक्रम के समापन पर कहा कि भारत 200 से अधिक बार विदेशी आक्रांताओं द्वारा लूटा गया, लेकिन हर बार यह देश उठ खड़ा हुआ. अब भारत विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. “हमें इस समय को गंवाना नहीं है, मोदी के नेतृत्व में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है.”
उन्होंने उपस्थित जनसमूह से अपील की कि वे इस सुधार को सफल बनाने के लिए भाजपा को दो-तिहाई बहुमत दिलाएं और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को वास्तविकता में बदलें.
गोष्ठी में इनकी रही उपस्थिति
कार्यक्रम में कई भाजपा पदाधिकारी, पूर्व सैनिक, स्थानीय नेता, और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे. प्रमुख उपस्थित लोगों में अभिषेक खरे, कर्नल दया शंकर दुबे, भुवनेन्द्र सिंह ‘मुन्ना’, शिव शंकर सिंह ‘शंकरी’, शिव बक्श सिंह, राम नरेश रावत, और मोहित तिवारी शामिल रहे.
सरोजनीनगर से उठी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की आवाज ने यह संकेत दिया कि अब भारत अपने चुनावी ढांचे में सुधार के लिए गंभीर है. इस आंदोलन को जनसमर्थन और राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ एक नई दिशा मिल सकती है.
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