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सीआरआई फंड के जरिए प्रदेश में 10 सेतुओं का निर्माण कराएगी योगी सरकार, बढ़ेगी कनेक्टिविटी

UP सीएम योगी के नेतृत्व में जहां एक ओर राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे का विस्तार हो रहा है, वहीं 1,111 करोड़ रुपये की लागत से 10 सेतु बंधन परियोजनाओं को पूरा करने की तैयारी है.

उत्तर प्रदेश को ‘उत्तम कनेक्टिविटी युक्त प्रदेश’ के तौर पर परिवर्तित कर रही डबल इंजन की सरकार रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के विजन को आगे बढ़ा रही है. एक ओर प्रदेश में पीएम मोदी के कुशल मार्गदर्शन में राष्ट्रीय राज्यमार्गों के निर्माण व विकास समेत विभिन्न प्रकार की बड़ी योजनाओं पर कार्य जारी है, वहीं सीएम योगी के नेतृत्व में प्रदेश एक्सप्रेसवे स्टेट के रूप में परिवर्तित हो गया है.

इस कड़ी में लोकनिर्माण विभाग द्वारा एक खाका तैयार किया गया है जिसके अनुसार सेतु बंधन की 10 परियोजनाओं को 1,111 करोड़ की लागत से पूरा करने की तैयारी है. इस योजना के जरिए जिन सेतुओं का निर्माण होना प्रस्तावित है उसमें मुख्यतः रेल ओवहरेड ब्रिज (आरओबी) और रेल अंडर ब्रिज (आरयूबी) प्रस्तावित है. इसके साथ ही, सीआरआई फंड के इस्तेमाल से मार्गों के निर्माण, चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण के कार्यों को पूरा करने की तैयारी है.

टीवीयू और उपयोगिता के आधार को ध्यान में रखकर होगा निर्माण

सीआरआई फंड के इस्तेमाल से लोकनिर्माण विभाग द्वारा प्रदेश में जिन 10 आरओबी व आरयूबी के निर्माण व विकास की प्रक्रिया पर काम किया जाना प्रस्तावित है उसे उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम की देखरेख में पूरा किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि कार्यों के चयन का निर्धारण टीयूवी व उपयोगिता के आधार पर किया जाता है. टेन व्हीकल यूनिट्स (टीयूवी) लेवल क्रॉसिंग गेट्स के वर्गीकरण में इस्तेमाल होने वाला एक टर्म है.

यह दर्शाता है कि एक दिन में औसतन कितनी ट्रेनें और यातायात वाहनों का उस सेक्शन से आना-जाना होता है. ऐसे में, सेतुओं के निर्माण में उन सेक्शंस पर सबसे ज्यादा फोकस किया जाता है जिनकी टीयूवी संख्या अधिक है और इसे भविष्य की जरूरतों के अनुरूप विकसित करने पर कार्य हो रहा है.

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में 1,111 करोड़ की लागत से 10 सेतुओं के निर्माण को स्वीकृति दी थी, जिस पर मौजूदा वित्तीय वर्ष में कार्य होना प्रस्तावित है. इनमें से प्रत्येक सेतुओं के निर्माण में 50 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि खर्च की जाएगी और इनके पूरा होने से कनेक्टिविटी में विस्तार के साथ ही उचित यातायात प्रबंधन में भी मदद मिलेगी.

मार्ग निर्माण में भी सीआरआई फंड का होगा इस्तेमाल

केंद्रीय मार्ग एवं अवसंरचना निधि का इस्तेमाल प्रदेश में सेतु निर्माण के साथ ही मार्गों के निर्माण में भी किया जाना प्रस्तावित है. इसको लेकर भी लोकनिर्माण विभाग द्वारा एक कार्ययोजना तैयार की गई है. इसके अनुसार, भारत सरकार द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में 136 करोड़ की लागत से कार्यों को पूरा करने का अनुमोदन किया गया था जिसे इस वित्तीय वर्ष में पूरा किया जा सकता है.

उल्लेखनीय है कि इस योजना के अंतर्गत मुख्यतः मार्गों के चौड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण, बाइपास व रिंग रोड निर्माण तथा राष्ट्रीय मार्ग के समानान्तर सर्विस मार्गों के निर्माण जैसे कार्यों को पूर्ण किया जाता है. मुख्यतः इसमें 10 किलोमीटर या उससे अधिक लंबाई के मार्गों को सम्मिलित किया जाता है.

इस योजना के अंतर्गत भूमि अधिग्रहण व यूटिलिटी शिफ्टिंग जैसे कार्यों को राज्य सरकार द्वारा ही पूरा किया जाता है.


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भारत एक्सप्रेस



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