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यूपी: हाशिमपुरा नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आठ दोषियों को दी जमानत, 1987 में हुई थी 38 लोगों की हत्या

1987 के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीएसी के आठ कर्मियों को जमानत दे दी. 22 मई 1987 को मेरठ के हाशिमपुरा इलाके में पीएसी जवानों द्वारा 38 लोगों की हत्या के मामले में यह राहत दी गई. दोषियों के वकील ने दलील दी कि अपीलकर्ताओं ने छह साल से अधिक समय जेल में बिताया है और उनका आचरण अच्छा रहा है.

Supreme CourtSupreme Court

सुप्रीम कोर्ट.

1987 के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में आठ दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने पीएसी के कर्मियों द्वारा 38 लोगों की हत्या के मामले में 8 दोषियों को जमानत दे दिया है. जस्टिस अभय.एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह आदेश दिया है. याचिकाकर्ताओं समी उल्लाह, निरंजन लाल, महेश प्रसाद और जयपाल सिंह की ओर से पेश वकील अमित आनंद तिवारी दलील दी कि अपीलकर्ता हाईकोर्ट के फैसले के बाद छह साल से अधिक समय से जेल में बंद है.

उन्होंने कहा कि अपीलकर्ताओं को पहले अधीनस्थ अदालत द्वारा बरी किया जा चुका है तथा अधीनस्थ अदालत में सुनवाई और अपील प्रक्रिया के दौरान उनका आचरण अच्छा रहा है.

38 लोगों की हुई थी हत्या

बता दें कि हाशिमपुरा नरसंहार 22 मई 1987 को हुआ था, जब पीएसी की 41वीं बटालियन की सी कंपनी के जवानों ने सांप्रदायिक तनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में मेरठ के हाशिमपुरा इलाके से एक ही समुदाय के लगभग 50 पुरुषों को कथित तौर पर घेर लिया था. पीड़ितों को शहर के बाहरी इलाके में ले जाया गया, जहां उन्हें गोली मार दी गई और उनके शवों को एक नहर में फेंक दिया गया. इस घटना में 38 लोगों की मौत हो गई थी. केवल पांच लोग ही इस भयावह घटना को बयां करने के लिए बचे थे.

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2015 में 16 कर्मियों को कोर्ट ने किया था बरी

2015 में ट्रायल कोर्ट द्वारा 16 पीएसी कर्मियों को बरी कर दिया था. निचली अदालत ने सभी को सबूत के आभाव में बरी किया था. निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. हाई कोर्ट ने 2018 में निचली अदालत के फैसले को पलट दिया, जिसमें 16 आरोपियों को हत्या, अपहरण या हत्या के लिए अपहरण, सबूतों को गायब करने और आपराधिक साजिश सहित विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

-भारत एक्सप्रेस



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