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पंजाब उन दिनों अलगाववाद की आग में झुलस रहा था. सीएम के रूप में सरदार बेअंत सिंह काफी सख्त थे.

केरल में जन्में राधाकृष्णन ने अपनी आत्मकथा में बताया कि कैसे मानसिक दबाव की स्थिति में उन्हें शास्त्रीय गायन ने सहारा दिया.

उस्ताद विलायत खान पिछले 60 वर्षों में भारतीय शास्त्रीय संगीत की सबसे महान हस्तियों में से एक थे. अपने सितार वादन में गायन शैली को अपनाने ने उन्हें काफी शोहरत दिलाई.

1916 में वो ब्रिटेन की रॉयल नेवी में शामिल हुए और पहले विश्व युद्ध के दौरान उनकी तैनाती समुद्र में हुई.

क्रांतिकारी बीना दास के माता-पिता अपने बच्चों, खासकर अपनी बेटियों को ऐसे अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध थे जो उस समय दुर्लभ थे, जिसमें स्वतंत्रता, शिक्षा और सीखने की प्यास शामिल थी.

प्रख्यात लेखक और व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई लिखते हैं कि निंदा में विटामिन और प्रोटीन होते हैं. निंदा खून साफ करती है, पाचन-क्रिया ठीक करती है, बल और स्फूर्ति देती है.

बिस्मिल्लाह खान की उम्र जब 6 साल ही थी तब वह शहनाई की शिक्षा के लिए वाराणसी अपने मामा अली बख्श के पास आ गए थे. उनके उस्ताद मामा काशी विश्वनाथ मंदिर में शहनाई बजाते थे. यहीं से उन्होंने शहनाई को अपना पहला प्यार बनाया.

उनकी किताब 'लिहाफ' को लेकर उन पर लाहौर कोर्ट में मुकदमा चला. इस्मत ने माफी नहीं मांगी. उन्होंने मुकदमा लड़ा और जीत हासिल की.

आजादी के बाद भारत सरकार ने उनकी मौत के जांच के लिए 1956 और 1977 में दो बार आयोग नियुक्त किया.

गीतिका की पहली पसंद कुश्ती नहीं थी. सबसे पहले उन्होंने एथलेटिक्स में अपना हाथ आजमाया था.