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लड़कियों को पढ़ने नहीं दे रहे चरमपंथी, पाकिस्तान में गर्ल्स स्कूल में हो रहे हमले

पाकिस्तान में पिछले हफ्ते हुए स्कूल पर बमबारी के बाद एक बार फिर शनिवार को लड़कियों के स्कूल पर चरमपंथियों द्वारा हमला किया गया है.

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सांकेतिक तस्वीर

विश्व समुदाय के देश एक तरफ जहां अपने देश में शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहे हैं वहीं विश्व का एक ऐसा भी देश है जहां चरमपंथियों द्वारा स्कूलों को टारगेट किया जा रहा है. पाकिस्तान के स्कूलों पर हो रहे हमलों से लड़कियों की शिक्षा पर काफी असर पड़ रहा है. पिछले हफ्ते हुए स्कूल पर बमबारी के बाद एक बार फिर शनिवार को लड़कियों के स्कूल पर चरमपंथियों द्वारा हमला किया गया है. चरमपंथियों ने एक और लड़कियों के स्कूल को बम से उड़ा दिया है.

शिक्षा प्रत्येक समाज का बुनियादी निर्माण खंड है. यह समृद्ध, स्वस्थ और न्यायसंगत समाज बनाने के लिए देशों द्वारा किया जाने वाला एकमात्र सर्वोत्तम निवेश है. 1948 के मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 26 में कहा गया है कि “प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार है.” हालांकि, आज भी 57 मिलियन बच्चे स्कूल से बाहर हैं. शिक्षा न केवल एक अधिकार है, बल्कि मानव विकास का पासपोर्ट है जो दरवाजे खोलता है और अवसरों और स्वतंत्रता का विस्तार करता है. ऐसे में इस प्रकार के हमले मानवाधिकार और शिक्षा के अधिकार से छात्रों को वंचित कर रहे हैं.

बम ब्लास्ट

पाकिस्तान के वजीरिस्तान में लड़कियों के एक और स्कूल को बम से उड़ा दिया गया. जिससे लड़कियों की शिक्षा पर काफी असर पड़ना लाजमी है, साथ ही पूरे इलाके में दशहत फैल गई. इन हमलों का कनेक्शन अफगानिस्तान से जोड़ा जा रहा है. शनिवार को पाकिस्तान में आतंकवाद की चल रही लहर के बीच खैबर पख्तूनख्वा में चरमपंथियों ने दक्षिण वजीरिस्तान की वाना तहसील में लड़कियों के स्कूल के एक हिस्से पर बमबारी की.

लगातार हो रहे हमले

वजीरिस्तान पाकिस्तान का उत्तर-पश्चिमी हिस्सा है जो 2021 से ही आतंकवादी हमलों की चपेट में है. जिससे खैबर पख्तूनख्वा के जिलों में कई लड़कियों के स्कूलों पर कई बार बम दागे गए हैं. लगातार लड़कियों की स्कूल पर हो रहे इन हमलों के चलते लड़कियों की शिक्षा पर काफी असर पड़ रहा है.

वजीरिस्तान के जिस स्कूल को अब बम से उड़ाया गया उसका नाम सोफिया नूर स्कूल है, कुछ हफ्ते पहले ही लड़कियों की शिक्षा के लिए वाना वेलफेयर एसोसिएशन की मदद से यह स्कूल स्थापित किया गया था. सोफिया नूर स्कूल पर हुए इस हमले के 8 दिन पहले ही 9 मई को उत्तरी वजीरिस्तान के शेवा शहर में इस्लामिया गर्ल्स स्कूल पर बमबारी की गई थी. हालांकि, बम हमले में किसी की जान नहीं गई, लेकिन लड़कियों की पढ़ाई पर असर जरुर हुआ है. खौफ़ का आलम यह है कि लड़कियों के माता पिता उनको स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं.

अचानक हुआ विस्फोट

रिपोर्ट्स के मुताबिक, तड़के करीब 3 बजे स्कूल में विस्फोट हुआ, जिससे इमारत का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया, लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. स्कूल के कुछ ब्लॉक में निर्माण चल रहा था. स्कूल पर हुए हमले से लोगों के बीच दशहत फैल गई है, वहां के लोग सालों से लगभग दैनिक आधार पर स्कूलों पर हमले देख रहे हैं. ऐसे में ऐसे हमले कब रुकेंगे इसके बारे में कोई भी कुछ कह पाने की स्थिति मे नही है.

स्कूल प्रशासन से हुई थी रंगदारी की मांग

सोशल मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि स्कूल प्रशासन को रंगदारी के लिए पत्र मिले थे. हालांकि, स्थानीय लोगों ने इससे इनकार किया है. वाना वेलफेयर एसोसिएशन के प्रवक्ता ने कहा, “स्कूल पर हमला करने वाले लोग वजीरिस्तान के लोगों को शिक्षा और विकास से दूर रखना चाहते हैं. हालांकि, इससे हम हतोत्साहित नहीं होंगे और हम नई पीढ़ी को तालीम देने जारी रखेंगे.”

प्रवक्ता ने कहा कि उनके संगठन को “तकरीबन एक महीने पहले एक चरमपंथी समूह से एक पत्र मिला था जिसमें उनसे पैसों की मांग की गई थी. प्रवक्ता ने बताया कि कुछ दिनों बाद, हमारे कार्यालय में एक और पत्र भेजा गया, जिसमें 10 मिलियन रुपये की मांग की गई.”

अफगान कनेक्शन

इस हमले का अफगानिस्तान से कनेक्शन हो सकता है इस तरफ इशारा करते हुए एक सदस्य ने कहा कि “हमें अफगान नंबरों से धमकी भरे कॉल आने लगे, जिसमें जबरन वसूली की मांग की गई.” सदस्य ने यह भी आरोप लगाया कि स्कूल प्रशासन को बताया गया था कि स्थानीय तालिबान गुटों से मांगें आ रही थीं. उन्होंने कहा, “हमने स्थानीय स्तर पर इन चरमपंथी समूहों तक पहुंचने की कई कोशिश की लेकिन असफल रहे.”

जिला प्रशासन रहा है असफल

पाकिस्तान में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने में पाकिस्तानी सरकार और जिन जिलों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं वहां का जिला प्रशासन पूरी तरह से असफल है. इन हमलों पर जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने अनऑफिशियल बातचीत में बताया कि तालिबान गुट इलाके में स्थानीय व्यापारियों से जबरन वसूली करते हैं और जो लोग भुगतान करने से इनकार करते हैं उन्हें निशाना बनाया जाता है, उनके घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया जाता है या मार डाला जाता है. पिछले कुछ सालों में कई व्यापारियों का अपहरण और हत्या कर दी गई है.

शिक्षा पर पड़ेगा असर

ऐसी घटनाओं से शिक्षा पर असर पड़ना लाजमी है क्योंकि कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को ऐसे हालात में पढ़ने के लिए स्कूलों में भेजने से परहेज़ करेंगे जहां वह सुरक्षित नही हैं.

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-भारत एक्सप्रेस



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