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होटन क्षेत्र में दो नए काउंटी बनाने पर भारत ने चीन से कड़ा विरोध दर्ज कराया

भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नए काउंटी के निर्माण से न तो क्षेत्र पर अपनी संप्रभुता के संबंध में भारत की दीर्घकालिक और सुसंगत स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही चीन के ‘अवैध और जबरन’ कब्जे को वैधता मिलेगी.

(फाइल फोटो: IANS)

भारत ने शुक्रवार (3 जनवरी) को कहा कि उसने होटन प्रांत में दो नए काउंटी की स्थापना को लेकर चीन के समक्ष ‘गंभीर विरोध’ दर्ज कराया है, क्योंकि इन क्षेत्रों के कुछ हिस्से भारतीय केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं.

भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नए काउंटी के निर्माण से न तो क्षेत्र पर अपनी संप्रभुता के संबंध में भारत की दीर्घकालिक और सुसंगत स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही चीन के ‘अवैध और जबरन’ कब्जे को वैधता मिलेगी.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने क्या कहा

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने इस क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र पर चीन के ‘अवैध’ कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है. उन्होंने कहा, ‘हमने चीन के होटन प्रांत में दो नए काउंटी की स्थापना से संबंधित घोषणा देखी है. इन तथाकथित काउंटी के अधिकार क्षेत्र के कुछ हिस्से भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हमने इस क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र पर चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है. नए काउंटी के निर्माण से न तो इस क्षेत्र पर हमारी संप्रभुता के बारे में भारत की दीर्घकालिक और सुसंगत स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही इससे चीन के अवैध और जबरन कब्जे को वैधता मिलेगी.’ जायसवाल ने आगे कहा, ‘हमने राजनयिक माध्यमों से चीनी पक्ष के समक्ष गंभीर विरोध दर्ज कराया है.’

तिब्बत में जलविद्युत परियोजना

जायसवाल ने कहा कि सरकार को तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी पर चीन द्वारा जलविद्युत परियोजना के निर्माण के बारे में जानकारी है. उन्होंने कहा, ‘नदी के पानी पर स्थापित उपयोगकर्ता अधिकारों वाले एक निचले तटवर्ती राज्य के रूप में हमने लगातार विशेषज्ञ स्तर के साथ-साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष को उनके क्षेत्र में नदियों पर मेगा परियोजनाओं पर अपने विचार और चिंताएं व्यक्त की हैं. जायसवाल ने कहा, ‘नवीनतम रिपोर्ट के बाद पारदर्शिता और निचले देशों के साथ परामर्श की आवश्यकता के साथ-साथ इन्हें दोहराया गया है.’

जायसवाल ने कहा, ‘नवीनतम रिपोर्ट के बाद पारदर्शिता और डाउनस्ट्रीम देशों के साथ परामर्श की आवश्यकता के साथ-साथ इन बातों को दोहराया गया है.’ उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है कि ब्रह्मपुत्र के डाउनस्ट्रीम राज्यों के हितों को अपस्ट्रीम क्षेत्रों में गतिविधियों से नुकसान न पहुंचे. जायसवाल ने कहा, ‘हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी करना और आवश्यक उपाय करना जारी रखेंगे.’

-भारत एक्सप्रेस



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