जापानी संगठन निहोन हिडांक्यो (Nihon Hidankyo) को परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया बनाने के प्रयासों के लिए 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है.
यह संगठन हिरोशिमा (Hiroshima) और नागासाकी (Nagasaki) के परमाणु बम (Nuclear Bomb) से बचे लोगों का एक जमीनी स्तर का आंदोलन है, जिसे हिबाकुशा (Hibakusha) के नाम से भी जाना जाता है. यह संगठन “परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया बनाने और गवाहों के माध्यम से यह प्रदर्शित करने का प्रयास करता है कि परमाणु हथियारों का फिर कभी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए”.
BREAKING NEWS
The Norwegian Nobel Committee has decided to award the 2024 #NobelPeacePrize to the Japanese organisation Nihon Hidankyo. This grassroots movement of atomic bomb survivors from Hiroshima and Nagasaki, also known as Hibakusha, is receiving the peace prize for its… pic.twitter.com/YVXwnwVBQO— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 11, 2024
नोबेल समिति ने परमाणु हथियारों के खिलाफ वैश्विक विरोध को जन्म देने और उसे बनाए रखने के लिए Nihon Hidankyo के लगातार किए गए प्रयासों की सराहना की. समिति ने कहा कि उनके इस कदम ने परमाणु हथियारों से होने वाले अकल्पनीय दर्द और पीड़ा को समझने का अनूठा, प्रत्यक्ष अनुभव दिया है.
समिति ने अपनी घोषणा में कहा, “Hibakusha हमें ऐसी चीजों का वर्णन करने में मदद करता है, जिन्हें शब्दों में बयां करना मुश्किल है, और उन बातों के बारे में सोचने पर मजबूर करता है, जो हम सोच भी नहीं सकते.”
हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमलों के लगभग 80 साल बीतने के बावजूद, परमाणु हथियार अब भी एक वैश्विक खतरे के रूप में मौजूद हैं. यह पुरस्कार हमें विश्व शांति के लिए बढ़ते खतरों की भी याद दिलाता है. समिति ने कहा कि परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है और नए खतरों के सामने आने से इनके इस्तेमाल के खिलाफ बने नियम भी खतरे में हैं.
-भारत एक्सप्रेस