
पाकिस्तान ने हाल ही में बढ़े आतंकवादी हमलों और जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैकिंग के मामले में अफगानिस्तान से स्पष्टीकरण मांगते हुए कड़ी आपत्ति जताई है. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, यह कदम उस समय उठाया गया जब बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के विद्रोहियों ने पिछले सप्ताह जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक कर लिया था. पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि हमलावरों के अफगानिस्तान में बैठे उनके हैंडलर्स से संपर्क था और यह हमला अफगान सरजमीं से रचा गया था.
जाफर एक्सप्रेस पर हमला और हाईजैकिंग
जाफर एक्सप्रेस पर हुए इस हमले के दौरान 440 यात्री बंधक बन गए थे और विद्रोहियों ने रेलवे ट्रैक को विस्फोट से उड़ा दिया था. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान की सेना ने 33 विद्रोहियों को मार गिराया, जबकि विद्रोहियों ने 30 से अधिक बंधकों की हत्या कर दी थी. यह हमला और उसकी परिणति पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका था और इसके बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से कड़ा स्पष्टीकरण मांगने का निर्णय लिया.
BLA और अफगान हैंडलर्स का संबंध
इस घटना के बाद, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (DG ISPR) के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने मीडिया को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि विद्रोहियों के अफगानिस्तान में बैठे उनके हैंडलर्स के साथ संपर्क होने का पुख्ता खुफिया जानकारी पाकिस्तान के पास है. उन्होंने यह भी बताया कि हमले में शामिल एक प्रमुख विद्रोही अफगान सेना में काम कर चुका है और अब पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल है.
तालिबान से पाकिस्तान की अपील
पाकिस्तान ने तालिबान से यह अपील की है कि अफगानिस्तान की जमीन को पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न होने दिया जाए. पाकिस्तान लंबे समय से काबुल से यह अपील करता रहा है कि अफगानिस्तान से आतंकी गतिविधियों को न बढ़ने दिया जाए. इसके साथ ही पाकिस्तान ने तालिबान से यह भी याद दिलाया कि उसने दोहा समझौते के तहत यह वादा किया था कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के लिए नहीं किया जाएगा.
ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 और तालिबान की भूमिका
पाकिस्तान ने यह अपील हाल ही में जारी ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 रिपोर्ट के आंकड़ों के आधार पर की. रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि हुई है और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को अफगानिस्तान में सुरक्षित पनाहगाह मिल गई है. रिपोर्ट ने तालिबान शासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से आतंकवाद की समस्या को हल करने की अपील की है.
तालिबान को याद दिलाया गया दोहा समझौता
पाकिस्तानी अधिकारियों ने अफगानिस्तान के दूत सरदार अहमद शकीब के साथ एक बैठक में तालिबान को उसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं की याद दिलाई. बैठक में यह बताया गया कि तालिबान ने दोहा समझौते में वादा किया था कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा. इस अपील का उद्देश्य तालिबान से अफगानिस्तान की जमीन को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनाने से रोकना था.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान शासन को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है, लेकिन उसने काबुल में तालिबान के राजनयिक प्रतिनिधि को काम करने की अनुमति दी हुई है. पाकिस्तान ने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित एक आतंकवादी संगठन ने अफगानिस्तान से इस हमले को अंजाम दिया है. यह घटना पाकिस्तान के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है और इससे पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है.
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-भारत एक्सप्रेस
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