प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो: IANS)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बुधवार को रूस (Russia) में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit) के पूर्ण अधिवेशन में कहा, ‘भारत (India) बातचीत और कूटनीति का समर्थन करता है, युद्ध का नहीं.’ इससे पहले बीते मंगलवार को पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) से कहा था, ‘सभी संघर्षों को वार्ता से सुलझाया जा सकता है.’ रूस और यूक्रेन (Ukraine) पिछले कुछ समय से संघर्षरत है.
प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को अपनी इसी चिंता पर जोर दिया और समूह को अपने सदस्यों और बड़े पैमाने पर दुनिया के सामने आने वाली कई चुनौतियों के बारे में बताया और उन मोर्चों पर कार्रवाई करने का आह्वान किया.
दुनिया के सामने गंभीर चुनौतियां
उन्होंने कहा, ‘हमारी बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब दुनिया कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है. दुनिया उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम विभाजन के बारे में भी बात कर रही है. इस समय मुद्रास्फीति को रोकना… खाद्य, ऊर्जा, स्वास्थ्य और जल सुरक्षा सुनिश्चित करना… ये प्राथमिकता के मामले हैं. प्रौद्योगिकी के इस युग में नई चुनौतियां सामने आई हैं, जैसे (ऑनलाइन फैलाई गई) गलत सूचना और डीपफेक (Deepfakes) जैसी साइबर धोखाधड़ी.’
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प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ऐसे समय में ब्रिक्स समूह से बहुत उम्मीदें हैं और मेरा मानना है कि हम एक विविध और समावेशी मंच के रूप में इन सभी क्षेत्रों में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं.’ मोदी ने कहा, ‘इस संबंध में हमारा दृष्टिकोण लोगों पर केंद्रित होना चाहिए. हमें दुनिया को बताना होगा कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं है और हम युद्ध का नहीं बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करते हैं.’
आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध
उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री ने महामारी का जिक्र किया और बताया कि कैसे ब्रिक्स (जिसका मतलब संस्थापक सदस्य ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से है) ने एक साथ मिलकर काम किया और कहा, ‘जिस तरह हम कोविड पर काबू पाने में सक्षम थे, उसी तरह हम एक सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं.’
इस दौरान आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध पर भी चर्चा की गई. मोदी ने जोर देकर कहा, ‘आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए हमें सभी के एकनिष्ठ और दृढ़ समर्थन की जरूरत है. इस गंभीर मामले में दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं है. हमें अपने देशों में युवाओं के कट्टरपंथीकरण को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है.’
-भारत एक्सप्रेस
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