All India Muslim Majlis-e-Mushawarat
Assam news: पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य में ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत के प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष फिरोज अहमद एडवोकेट की अगुवाई में गुवाहाटी का दौरा किया. गुवाहाटी में हुई बैठक के दौरान उन्होंने राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की, एकता के लिए काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई, चुनावों में ईवीएम के उपयोग और असम में मुसलमानों पर सरकारी अत्याचार और पीड़ितों के पुनर्वास के मुद्दे पर भी चर्चा की गई.
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत के नेताओं ने ईवीएम के द्वारा चुनाव में कथित धांधली पर चिंता व्यक्त की और असम के मुसलमानों पर हो रहे सरकारी अत्याचार और पीड़ितों के पुनर्वास पर भी विचार किया गया. देश एवं राष्ट्र की सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक समस्याएँ, विशेषकर अल्पसंख्यकों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार तथा उत्तेजक एवं तिरस्कारपूर्ण व्यवहार इस यात्रा का मुख्य विषय था.
मुशावरत के महासचिव और प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख सैयद तहसीन अहमद ने इस अवसर पर कहा कि कुछ विभाजनकारी ताकतों की प्रवृत्ति देश में अराजकता पैदा करने की है, उनकी योजना को विफल करने के लिए लोगों को एकजुट होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, परिषद ने सामाजिक संगठनों और कई समूहों के सहयोग से देश में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए “हिंसा मुक्त भारत” अभियान शुरू किया है. जबकि मुशावरत के युवा विंग के सचिव शम्सुजजुहा ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत बहुत जल्द असम और उसके जिलों में मुशावरत को मुनज़्ज़म करेगी.
एक मुस्लिम नेता ने बताया कि बैठक इस प्रश्न पर भी विचार किया गया कि मुसलमानों को अन्य अल्पसंख्यकों, जिनकी कुल संख्या 20% से अधिक है, के साथ मिलकर काम करना चाहिए जबकि एक अन्य राय यह थी कि इस समय देश के कुछ राज्यों में ‘कास्ट सर्वे ‘ किए जा रहे हैं और चूँकि मुसलमान भी भारतीय मूल के लोग हैं. उन्होंने कहा- हम देश की 80% आबादी का हिस्सा हैं.
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत के एक प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष फिरोज अहमद एडवोकेट के निर्देश पर असम का दौरा किया और राज्य के प्रमुख नेताओं और संगठनों से मुलाकात की. वहीं, बैठक में शामिल कई प्रतिभागियों ने मुस्लिम समुदाय में वर्गों और संप्रदायों के अंतर को लेकर चिंता व्यक्त की और समुदाय के भीतर समीक्षा करने और काम करने का सुझाव दिया. हाज़िरीन की राय थी कि जिस तरह दुनिया के विकसित देशों में बिना ईवीएम के चुनाव होते हैं, उसी तरह भारत में भी पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए बिना ईवीएम के चुनाव होने चाहिए और मुशावरत से इस मांग को आगे बढ़ाया जाना चाहिए.
स्थानीय नेताओं ने मुशावरत के केंद्रीय प्रतिनिधियों का ध्यान असम के उन मुसलमानों की ओर आकर्षित किया जो पीढ़ियों से सरकारी भूमि पर रह रहे हैं और वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा विस्थापित किए जा रहे हैं, जबकि मुशावरत ने इस मुद्दे पर स्थानीय संगठनों और रहनुमाओं के साथ सहयोग करने का आश्वासन दिया. इस बैठक में प्रमुख राजनीतिक रहनुमा और पूर्व सांसद सैयद अजीज पाशा उपस्थित थे. इस बैठक में जमीयत उलेम ए हिंद, जमीयत अहले हदीस असम, अल्पसंख्यक शगरून परिषद, चार्च पुरी सत्य परिषद, असम सिविल सोसाइटी और जस्टिस फोरम असम जैसे प्रमुख सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
इन संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा, कुछ जिलों के प्रमुख नेताओं, बुद्धिजीवियों और पूर्व नौकरशाहों आदि ने भी भाग लिया, जिनमें प्रोफेसर अब्दुल मनान (पूर्व प्रोफेसर, गुवाहाटी विश्वविद्यालय), मुहम्मद अलाउद्दीन आईएएस (सेवानिवृत्त), अज़ीज़ुल रहमान (पूर्व प्रिंसिपल एवं पूर्व अध्यक्ष ऑल आसाम मुस्लिम स्टूडेंट्स यूनियन) और लश्कर अली के प्रिय नाम उल्लेखनीय हैं. बैठक का संचालन अब्दुल बातिन खान (विधायक) ने किया.
— भारत एक्सप्रेस
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