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Uttarkashi Tunnel Rescue: 41 मजदूरों को सुरंग में फंसे बीते 14 दिन, परिजनों का सब्र टूट रहा, बात कराने के लिए लगेगा टेलीफोन

Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड की सुरंग में फंसे मजदूरों की उनके परिजनों से बातचीत कराने के लिए सुरंग में एक छोटे साइज का टेलीफोन पहुंचाया जाएगा. टेलीफोन की कम्युनिकेशन केबल को गुफा के मुहाने से होते हुए सुरंग के भीतर बिछाया जा रहा है.

उत्तरकाशी की सुरंग में पहुंचाया जाएगा टेलीफोन

Uttarkashi Tunnel Rescue Update: उत्तराखंड में उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए कई तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं. सुरंग बीच में से ढह जाने के कारण 41 मजदूर उसके अंदर ही फंस गए थे, वहां उन्हें 14 दिन हो गए हैं. हालांकि, अभी तक सब जिंदा हैं. बाहर उनके परिजनों का सब्र टूट रहा है. ऐसे में मजदूरों की परिजनों से बात कराने के लिए अब सुरंग में पाइप के जरिए छोटे साइज का टेलीफोन पहुंचाया जाएगा.

बीएसएनएल से जुड़े कर्मचारियों ने बताया कि बचाव कार्य में बार-बार अड़चनें आने की वजह से रेस्क्यू टीमें अब तक मजदूरों तक अंदर नहीं पहुंच पाई हैं. मजदूरों के घरवाले खासा परेशान हैं, कइयों के तो माता-पिता या बहनों ने खाना-पीना भी छोड़ दिया है. ऐसे में मजदूरों की उनसे बात कराने के लिए सुरंग में टेलीफोन पहुंचाने की तैयारी चल रही है. पता चला है कि छोटे साइज का फोन कनेक्ट करके 6 इंच चौड़ी पाइप के जरिए सुरंग में फंसे मजदूरों को दिया जाएगा, ताकि अपने परिवार वालों से बात कर सकें.

सुरंग में फंसे मजदूरों का पहला वीडियो आया सामने

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रेस्क्यू ऑपरेशन में अभी और वक्त लगेगा

मजदूरों को बाहर कैसे निकाला जाएगा, ये अब तक बड़ा सवाल बना हुआ है. इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स का कहना है कि अब आॅगर मशीन से ड्रिलिंग नहीं की जाएगी. क्योंकि, इस तरह रेस्क्यू में कई दफा उसमें बाधा आ चुकी है. ऑगर मशीन टूट गया, इसे ठीक नहीं किया जा सकता. ऐसे में अन्य तरीकों को भी अपनाया जाएगा.

कैसे और कब हुआ था यह भयावह हादसा

घटना 12 नवंबर यानी कि दिवाली के दिन की है. उस रोज सुबह करीब साढ़े 5 बजे ब्रम्हखाल यमुनोत्री हाईवे पर स्थित निर्माणाधीन सुरंग के सिलक्यारा छोर के पास मलबा गिरने की खबर आई. सुरंग बीच से ढही और उसका मलबा गिरने से अंदर काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए. एक ओर मलबा और दूसरी ओर मजदूर…उनको उसी दिन सुबह 9 बजे बाहर निकालने का मिशन शुरू कर दिया गया था, लेकिन अब तक यह संभव नहीं हो पाया है. हालांकि, उनको खाना—पानी एक लंबे पाइप से पहुंचाया जा रहा है.



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