शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
Uttrakhand Chardham Yatra: उत्तराखंड में जल्द ही चार धाम यात्रा की शुरुआत होने वाली है. इस बार यह यात्रा काफी ऐतिहासिक होने वाली है. क्योंकि पहली बार कड़ाके की ठंड के मौसम में इसकी शुरुआत होने जा रही है. इससे पहले देवभूमि में चार धाम की यात्रा सर्दियों के मौसम में बंद हो जाती है. यह यात्रा 27 दिसंबर से शुरू होगी और इसकी शुरुआत जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद करेंगे. पहली बार सर्दियों में शुरू हो रही यह ऐतिहासिक यात्रा 7 दिनों तक चलेगी. यह 27 दिसंबर 2023 से शुरू होगी और 2 जनवरी 2024 को इसका समापन होगा.
चलिए अब आपको जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के बारे में बताते हैं जो इस चार धाम यात्रा का शुभारंभ करेंगे. वह अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य रहे चुके हैं.
कौन हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का जन्म 15 अगस्त 1969 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में हुआ था. इनका मूल नाम उमाशंकर है. यह 22 साल स्वरूपानंद सरस्वती शिष्य रहे हैं. उनके ब्रह्मलीन होने के बाद अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य बने थे. इनकी शुरुआती पढ़ाई प्रतापगढ़ में ही हुई थी. आग की पढ़ाई के लिए वह 9 साल की उम्र में गुजरात चले गए. यहां उन्होंने धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी रामचैतन्य के सानिध्य में गुरुकुल में संस्कृत शिक्षा ग्रहण की. इसके बाद उन्हें काशी में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का सानिधय प्राप्त हुआ था. अगर इनके परिवार की बात करें तो इनके स्वर्गवासी पिता का नाम पंडित राम सुमेर पांडेय था और मां का नाम अनारा देवी है.
कैसा रहेगा रूट
बता दें कि चार धाम की यात्रा 27 दिसंबर को हरिद्वार में श्रीशंकराचार्य मठ से शुरू होगी. इसके बाद यह 28 और 29 दिसंबर उत्तरकाशी में रहेगी. फिर यह यात्रा 30 दिसंबर को भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा स्थली ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर पहुंची. उसके बाद 31 दिसंबर को को बद्रीकाश्रम हिमालय पहुंची. नए साल में 1 जनवरी 2024 को ज्योतिर्मठ और 2 जनवरी को हरिद्वार में यात्रा का समापन होगा.