गृह मंत्री अमित शाह. (फोटो साभार: पीआईबी)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शुक्रवार (15 मार्च) को कहा कि अब बंद हो चुकी चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) योजना राजनीतिक फंडिंग प्रक्रिया से ‘काले धन को खत्म करने’ के लिए शुरू की गई थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस योजना को रद्द करने के बाद शाह की यह पहली प्रतिक्रिया थी.
समाचार चैनल इंडिया टुडे के साथ बातचीत में अमित शाह ने कहा कि अब जब इस योजना को खत्म कर दिया गया है, तो उन्हें डर है कि फंडिंग प्रक्रिया में ‘काला धन’ वापस आ जाएगा.
चुनावी बॉन्ड योजना साल 2018 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पेश किया गया था, जिसे पिछले महीने असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.
अमित शाह ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं, लेकिन वह चुनावी बॉन्ड योजना पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं और यह भी कि इसे काले धन को खत्म करने के लिए कैसे पेश किया गया था.
विपक्षी दलों को धो डाला
गृह मंत्री शाह ने कहा कि योजना लागू होने से पहले राजनीतिक दलों को चंदा नकदी के जरिये दिया जाता था. योजना शुरू होने के बाद कंपनियों या व्यक्तियों को पार्टियों को दान के लिए बॉन्ड खरीदने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को एक चेक जमा करना पड़ता है.
अमित शाह ने कहा, ‘ऐसी धारणा है कि भाजपा को चुनावी बॉन्ड योजना से फायदा हुआ, क्योंकि वह सत्ता में है. राहुल गांधी ने भी कहा था कि यह दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट है. पता नहीं कौन उनके लिए ये बातें लिखता है.’
उन्होंने पूछा, ‘भाजपा को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से लगभग 6,000 करोड़ रुपये मिले. कुल बॉन्ड (सभी दलों के) 20,000 करोड़ रुपये थे. तो 14,000 करोड़ रुपये के बाकी बॉन्ड कहां गए?’
अमित शाह ने उन विपक्षी दलों की आलोचना की जो चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त राशि के लिए भाजपा की आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को जो राशि मिली वह लोकसभा में उनकी सीटों की संख्या से अधिक है.
गृह मंत्री शाह ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस ने 1,600 करोड़ रुपये के बॉन्ड भुनाए, कांग्रेस को 1,400 करोड़ रुपये, भारत राष्ट्र समिति को 1,200 करोड़ रुपये, बीजेडी को 775 करोड़ रुपये और डीएमके को 649 करोड़ रुपये मिले.
गोपनीयता की गुंजाइश
अमित शाह ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना लागू होने के बाद गोपनीयता की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि राशि पार्टियों और दानदाताओं दोनों के बैंक खातों में दिखाई देती है.
बातचीत के दौरान जब उनसे पूछा गया कि इलेक्ट्रोरल बॉन्ड खरीदने में जिन कंपनियों के नाम आए हैं, उनमें से कई ऐसी हैं, जिनके खिलाफ ईडी और सीबीआई का केस चल रहा है और देश के जो बड़े औद्योगिक घराने हैं, जिन्हें लेकर इतनी पॉलीटिक्स होती रहती है, उन्होंने क्या किसी को डोनेट नहीं किया, उनका नाम तो कहीं है ही नहीं, इस पर अमित शाह ने तपाक से सवाल पूछा, तो आप क्या कहते हो, ‘आजादी से अब उन औद्योगिक घरानों ने कभी डोनेट नहीं किया? तो पत्रकार बोलते हैं, किया ही है, करते ही हैं.’
Where did the electoral funds come from before the introduction of the electoral bond? They want the cash donations to continue so that the source can never be traced.
इलेक्टोरल बॉन्ड आने से पहले चुनाव का फंड कहाँ से आता था…ये लोग चाहते हैं कि फिर से इन्हें कैश में चंदा मिलने… pic.twitter.com/6aSCwpfdL6
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) March 16, 2024
कांग्रेस पर सीधा हमला
इस पर गृह मंत्री अमित शाह फिर पूछते हैं, ‘तो इसका हिसाब कहां है, मैं पूछना चाहता हूं. नाम भी नहीं आए हैं. बॉन्ड के कारण आज नाम तो आए हैं. क्या गोपनीयता की बात कर रहे हैं ये लोग. कैश में करोड़ों रुपये का चंदा लिया. 12 लाख करोड़ रुपये के घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार किए, जेल जा रहे हैं और हमसे हिसाब मांग रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हमने तो काला धन समाप्त करने के लिए बॉन्ड लाया थे. मैं आज देश की जनता के सामने ये सवाल पूछना चाहता हूं कि बॉन्ड आने से पहले चुनाव का खर्च कहां से आता था? वो काला धन था या हिसाब-किताब का धन था. ये बॉन्ड का धन काला धन नहीं है. उनकी बैलेंस शीट में ये रिफ्लेक्ट करता हैं कि हमने चुनाव के लिए बॉन्ड दिया है.’
गोपनीयता क्यों रखी गई
उन्होंने कहा, ‘गोपनीयता सिर्फ इसलिए रखी गई थी, क्योंकि वो कांग्रेस पार्टी को देंगे तो हम परेशान करेंगे, ऐसा उनको डर था. हमें देंगे तो जहां कांग्रेस का शासन है तो वो परेशान करते हैं, इसका डर था. बॉन्ड कितना मिला, ये पार्टी के बैलेंस शीट में रिफ्लेक्ट होता है और बॉन्ड कितना दिया गया, ये कंपनी के बैलेंस शीट में रिफ्लेक्ट होता है. अब इसमें क्या गोपनीय बचा? गोपनीय तो तब होगा, जब कैश से चंदा लिया जाएगा, तब सब गोपनीय होता होगा.’
गृह मंत्री ने कहा, ‘और कांग्रेस पार्टी को गोपनीयता से मतलब नहीं है. जब कैश से चंदा लेते हैं तो 100 रुपये पार्टी में जमा कराते हैं और 1,000 रुपये अपने घर में रख लेते हैं. कांग्रेस पार्टी ने सालों तक ये व्यवस्था चलाई है. पार्टी के नाम से 1100 रुपये का चंदा लेते हैं और 100 रुपये पार्टी में जमा कराते हैं और 1000 रुपये घर में रख लेते हैं. 1100 रुपये का अगर बॉन्ड लेते हो तो वो सारा बैंक में जमा होता है. जरा उनको कोई पूछे तो. आप हमसे इतना पूछ लेते हो, उनको चार सवाल तो पूछो. बिठाओ यहां पर.’
-भारत एक्सप्रेस
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