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गिग वर्कर्स: अपने बॉस स्वयं बनें

दुनिया भर में ऐसे कई प्लेटफार्म हैं जो ‘गिग वर्कर’ को ऐसी कई कंपनियों या व्यक्तियों से जोड़ते हैं जो मासिक तनख़्वाह पाने वाले कर्मचारी नहीं रखना चाहते।

एक दौर था जब पढ़ाई लिखाई पूरी करने के बाद हर युवक को नौकरी या व्यवसाय में प्रवेश करना ही पड़ता था। फिर शुरू होती थी उनके जीवन में 9 से 5 की दिनचर्या। जैसे-जैसे समय बदला नौकरी और व्यापार के माहौल में भी बदलाव आए। लेकिन जब से कोविड की महामारी आई उसने दुनिया भर में ‘वर्क फ्रॉम होम’ का चलन शुरू कर दिया। दुनिया भर में सूचना प्रौद्योगिकी की क्रांति के बाद, आज हर किसी के हाथ में एक स्मार्ट फ़ोन देखा जा सकता है और मेज़ पर कंप्यूटर। इस क्रांति ने दुनिया भर के हर कोने में व्यक्तियों को एक दूसरे से जोड़ दिया है। आज अधिकतर युवा और प्रोफेशनल किसी की नौकरी करना पसंद नहीं करते। वे ख़ुद के ही बॉस बनने में विश्वास रखते हैं। ऐसे काम करने वालों को ‘गिग वर्कर्स’ कहा जाता है।

इन्हें कहते हैं गिग वर्कर

आम तौर पर ‘उबर’ ‘ओला’ जैसी टैक्सी चलाने वाले या खाना व अन्य वस्तुएं डिलीवर करने वालों को ‘गिग वर्कर’ माना जाता है। परंतु ऐसा सोचना सही नहीं है। आज के दौर में हर वो व्यक्ति या प्रोफेशनल जो किसी भी कंपनी में मासिक वेतन की सूची में नहीं है, परंतु वो किसी न किसी कंपनी के लिए कुछ न कुछ कार्य कर रहा है वो ‘गिग वर्कर’ की श्रेणी में आता है। फिर वो चाहे पत्रकार हो, वकील हो, आर्किटेक्ट हो, लेखक हो, फ़ोटग्राफ़र हो, वेब डिज़ाइनर हो या अन्य कोई भी हो, जो भी किसी बड़ी या छोटी कंपनी या संस्था के लिए एक विशेष प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहा है वो गिग वर्कर, फ्रीलांसर या सलाहकार की श्रेणी में ही आता है। ऐसा करने से उस कंपनी को भी अपने वैतनिक कर्मचारी की संख्या बढ़ानी नहीं पड़ती। ऐसे में ‘गिग वर्कर’ उस कंपनी के न सिर्फ़ ऊपरी ख़र्च भी घटाते हैं बल्कि कार्य कुशलता के साथ उस प्रोजेक्ट या असाइनमेंट को पूरा भी करते हैं।

गिग वर्कर’ होने के कई फ़ायदे

‘गिग वर्कर’ होने के कई फ़ायदे भी हैं। ऐसा कार्य करने वाला हर व्यक्ति अपनी मर्ज़ी का मालिक होता है। जब भी मन करे वो काम पर हो सकता है और जब भी मन करे वो छुट्टी पर हो सकता है। उसे किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती। यदि आप इस श्रेणी में आने वाली महिला हैं और आपके घर में एक छोटा बच्चा है जिसे आपकी देखभाल की ज़रूरत है, तो आप अपने बच्चे की दिनचर्या पूरी कर, उसे सुलाने के बाद अपने कंप्यूटर की मदद से ‘ऑनलाइन’ आ सकती हैं। हाँ ऐसे में आपकी सेवा केवल वही कंपनी लेंगी जिनका उस समय काम का समय होगा। ऐसे में ‘एक पंथ दो काज’ बड़े आराम से हो सकते हैं और आप घर बैठे दुनिया के किसी भी कोने में अपनी क्षमता अनुसार किसी कंपनी को अपनी सेवा दे सकते हैं।

जब मन करे तब काम

मुझे याद है जब 2013 में मैं दुबई गया था वहां टैक्सी चलाने वाले एक दक्षिण भारतीय से पूछा कि दुबई में काम करने के लिए अधिकतर लोग भारत या अन्य देशों से ही आते हैं। इन्हें दुबई में काम करने पर कैसा माहौल मिलता है? वो काफ़ी संतुष्टि से बोला कि हम बहुत सुखी हैं। यहां की सरकार हमारा बहुत ध्यान रखती है। हम अच्छा पैसा कमाते हैं। जब मैंने उससे उसकी औसत कमाई पूछी तो उसने बताया क़रीब एक लाख रुपए कमा लेता हूँ। जैसे ही मैंने उसकी तनख़्वाह पूछी तो वह बोला कि हमें प्रति किलोमीटर कमीशन मिलती है। हम अधिक से अधिक समय गाड़ी चलाना पसंद करते हैं। जब मन करता है ड्यूटी ऑफ कर लेते हैं। कुछ ही वर्षों बाद जब से भारत में ‘उबर’ ‘ओला’ की टैक्सियों का चलन बढ़ने लगा तो इनके ड्राइवरों से भी कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया मिली। आज भारत में ऐप से चलने वाली कई टैक्सी सेवाएँ हैं जो आपको कभी भी और कहीं भी ले जा सकती हैं। ऐसे में यदि आप स्वयं गाड़ी ख़रीद कर रखें तो उसके रख-रखाव आदि के ख़र्च से भी बच जाते हैं। इतना ही नहीं आप प्रदूषण की रोकथाम में भी सहयोगी बनते हैं। इसके साथ ही किसी बेरोज़गार को रोज़गार भी मिल जाता है।

दुनिया भर में ‘गिग वर्कर्स’

जिस तरह आज आपको घर बैठे ही कुछ भी सामान, कभी भी और कहीं भी मंगाना हो तो आप झट से अपने स्मार्ट फ़ोन की मदद से उसे उपलब्ध करा लेते हैं। ऐसा तभी संभव होता है कि क्योंकि इसे कामयाब करने के लिए ऐसे लाखों ‘गिग वर्कर्स’ की एक फ़ौज दुनिया भर में तैनात है और हर दिन इसमें बढ़ौतरी हो रही है। ज़्यादातर लोग ‘गिग वर्कर्स’ को टैक्सी चलाने वाले और सामान डिलीवर करने वाले ही समझते हैं। परंतु ऐसा नहीं है। आँकड़ों के अनुसार अमरीका जैसे देश में 5.73 करोड़ ‘गिग वर्कर’ हैं। एक अनुमान के तहत 2027 आते-आते अमरीका में काम करने वालों की 50 प्रतिशत संख्या ‘गिग वर्कर्स’ की होगी।भारत की ही बात करें तो 2021 में ही ‘गिग वर्कर्स’ की संख्या क़रीब 1.5 करोड़ थी जो हर दिन बढ़ती जा रही है।एक शोध के अनुसार 2023 के अंत तक दुनिया भर की अर्थ व्यवस्था में ‘गिग वर्कर’ के ज़रिये क़रीब 45.5 करोड़ डॉलर का योगदान हुआ।

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दुनिया भर में ऐसे कई प्लेटफार्म हैं जो ‘गिग वर्कर’ को ऐसी कई कंपनियों या व्यक्तियों से जोड़ते हैं जो मासिक तनख़्वाह पाने वाले कर्मचारी नहीं रखना चाहते। इसलिए यदि आप अपने लिए घर बैठे ही कोई रोज़गार देख रहे हैं तो आप इस विषय में भी सोचें कि ‘गिग वर्कर’ बन कर आप न सिर्फ़ स्वयं के बॉस बन सकते हैं बल्कि अपनी मर्ज़ी अनुसार काम पर आ-जा सकते हैं। आज के तनाव भरे माहौल में यदि आपको अपने लिए व अपनों के लिए समय निकालना है तो ‘गिग वर्कर’ एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।



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